
आयुष संचालनालय में चल रहा गड़बड़ियों का खेल
रोहित सिकरवार
भोपाल:21 जनवरी/ मध्य प्रदेश सरकार के आयुष संचालनालय में पदस्थ डिप्टी डायरेक्टर डॉ सुशील तिवारी पर आरोप है की डॉ तिवारी ने फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों की मदद से अपनी पत्नी डॉ गीता तिवारी की नियुक्ति प्रोफेसर पद पर शासकीय होमियोपैथीक महाविद्यालय में करा ली| जब यह प्रकरण शासन की निगाह में आया तो इस प्रकरण की जांच कराई गई और जांच में पाया गया के डॉ गीता तिवारी की नियुक्ति फर्जी है| इस मामले में आश्चर्यजनक बात यह है की विभागीय मंत्री की जांच के लिए लिखी नोटशीट भी डॉक्टर तिवारी का कुछ नहीं बिगाड़ सकी.
डॉ तिवारी की पत्नी की फर्जी नियुक्ति की जांच अधिकारी डॉ वंदना बोराना से जब जांच के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि जब से जांच शुरू हुई है तभी से डॉ सुशील तिवारी उनसे दुर्भावना रखने लगे और उन पर अनर्गल आरोप लगा कर जांच प्रभावित करने की कोशिश करते रहे है| डॉ वंदना बोराना ने डॉ सुशील तिवारी के खिलाफ जहाँगीराबाद थाने में एफ आई आर दर्ज कराई है जिसमे एट्रोसिटी एक्ट की धाराएं भी लगाई गयी है| डॉ बोराना ने बताया कि डॉ तिवारी ने हाईकोर्ट में गलत शपथ पत्र दाख़िल किया जिसमें उन्होंने अपने ऊपर लगी एट्रोसिटी एक्ट की धाराएं शपथ पत्र में नहीं बताई गई|
डॉ बोराना ने बताया कि डॉ सुशील तिवारी को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, यही कारण है की हर प्रमुख सचिव उन्हें संचालनालय से बाहर करते है लेकिन फिर भी वह संचालनालय में अपनी पदस्थापना अपने राजनतिक रसूख से प्राप्त कर लेते है| इस पूरे मामले के सन्दर्भ में जब डॉ सुशील तिवारी से बात करने की कोशिश की गयी, लेकिन ना ही उन्होंने फ़ोन उठाया ना ही मिलने का समय दिया|
इस विषय पर आयुष मंत्रालय के शासकीय आदेश क्र.एफ 3-22/2018/1/59 भोपाल दिनांक 29.10.2018 द्वारा डॉ. गीता तिवारी के विरुद्ध जारी किया गया और जांच में उन पर लगे आरोप पूर्ण रूप से सिद्ध पाए गए जैसा की विभागीय जांच रिपोर्ट में लिखा है| तत्कालीन आयुष मंत्री जालम सिंह पटेल 31/07/2018 जांच के आदेश दिए.
इसी सन्दर्भ में वर्तमान आयुष मंत्री रामकिशोर कांवरे ने भी दिनांक 04/08/2020 को जांच के आदेश और पूर्व में की गयी जांच की नोटशीट की मांग लिखित में की गयी| डॉ सुशील तिवारी संचालनालय में पदस्थ होने व पत्नी की नोटशीट भी स्वयं के पास होने का लाभ लेते हुए,अपने रसूख की दम पर डॉ गीता तिवारी की नोटशीट को दबा दिया गया और जांच को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है|
विभागीय सूत्रों के मुताबिक डॉ सुशील तिवारी द्वारा अपने अधिकारियो से अभद्रता करना इनके लिए आम बात है जबकि विभाग द्वारा इसी तरह के एक प्रकरण में इन्हे दण्डित करते हुए इनकी दो वेतन वृद्धि रोकी गयी है| खरीन्यूज़ को प्राप्त दस्तावेज ये बताते हैं कि डॉ तिवारी की कारगुजारियों व कथित भ्रष्टाचार की फेहरिस्त काफी लम्बी है, इन पर फर्जी नियुक्तियों एवं घोर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप है जिनकी विभागीय जांच चल रही है|