भोपाल : 28 सितम्बर/ रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘हिंदी पखवाड़ा’ के पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कवि–कथाकार, विश्व रंग के निदेशक एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे ने कहा कि हिंदी में काम करना और हिंदी के लिए वैश्विक स्तर पर निरंतर काम करते रहना हमारा दायित्व बनता है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर हिंदी के लिए अपार संभावनाएँ हैं। विश्व रंग और टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में शीघ्र ही हम ‘अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलम्पियाड’ का आयोजन करेंगे। इसमें विश्व के विभिन्न देशों से दस लाख युवाओं और हिंदी प्रेमियों को जोड़ेंगे। हिंदी पखवाड़े का आयोजन भी वैश्विक स्तर पर किया जाएगा। आपने आगे कहा कि हिंदी में रोजगार के भी द्वार वैश्विक स्तर पर खुले हैं। विभिन्न देशों के 150 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी नंबर तीन पर सुमार है। वह घड़ी दूर नहीं जब हिंदी विश्व की सिरमौर होगी।
वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. अमिताभ सक्सेना ने कहा कि हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को ही संविधान सभा ने यह निर्णय लिया था कि हिंदी केन्द्र सरकार की आधिकारिक राजभाषा होगी। क्योंकि भारत के अधिकतर भूभाग में हिंदी भाषा बोली जाती है। इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिंदी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिंदी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रो. अमिताभ सक्सेना ने आगे बताया कि 71 वें हिंदी दिवस के अवसर पर आईसेक्ट समूह के विश्वविद्यालयों में हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत हिंदी के व्यापक प्रचार–प्रसार को केंद्र में रखते हुए ऑनलाइन संवाद, हिंदी कार्यशाला, हिंदी योग्यता प्रमाणन प्रतियोगिता, काव्य गोष्ठी– रचना पाठ, वाद– विवाद प्रतियोगिता, हिंदी कहानी पाठ प्रतियोगिता, हिंदी कविता पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता, आलेख लेखन प्रतियोगिता, हिंदी शुद्ध पाठन एवं लेखन प्रतियोगिता, रंगोली प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता, मृदा शिल्प प्रतियोगिता, श्लोक वाचन प्रतियोगिता एवं छात्र संवाद कार्यक्रमों का आयोजन बड़े पैमाने पर किया गया। इस अवसर पर प्रतियोगिताओं में विजेता विद्यार्थियों को प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
उल्लेखनीय है कि हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित उपरोक्त सभी गतिविधियों में आईसेक्ट समूह के विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों और शिक्षकों के अलावा आसपास के विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भी बड़ी संख्या में रचनात्मक और सृजनात्मक भागीदारी कर हिंदी के लिए एक सार्थक वातावरण निर्मित किया है।
टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केन्द्र के निदेशक डॉ. जवाहर कर्नावट ने इस अवसर पर कहा कि हिंदी हम हिंदी की सेवा नहीं कर रहे हैं, बल्कि संपूर्ण विश्व में हिंदी हमारा मान बढ़ा रही है। आपने आगे कहा कि वर्ष 1949 में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितम्बर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की अनुच्छेद 343(1) में इस प्रकार वर्णित है। संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तरराष्ट्रीय होगा। अतः हमें संविधान के अनुरूप हिंदी को देवनागरी लिपि अर्थात हिंदी को हिंदी में ही लिखना चाहिए।
सर्वप्रथम अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर और माँ शारदा की मूर्ति पर माल्यार्पण कर समारोह का शुभारंभ किया। डॉ. संगीता जौहरी, प्रतिकुलपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल ने स्वागत उद्बोधन देकर अतिथियों का स्वागत किया। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित हिंदी पखवाड़े के प्रतिवेदन का प्रस्तुतीकरण डॉ. मौसमी परिहार, सह-आचार्य, मानविकी एवं उदार कला संकाय द्वारा किया गया। समारोह का संचालन श्री पुष्पेन्द्र बंसल द्वारा किया गया। आभार डॉ. रुचि मिश्रा तिवारी, अधिष्ठाता, मानविकी एवं उदार कला संकाय द्वारा व्यक्त किया गया। इस अवसर बड़ी संख्या में प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों ने रचनात्मक भागीदारी की।