तुमकुर, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) को दो अक्टूबर को 10 साल पूरे हो जाएंगे। इन 10 सालों में स्वच्छ भारत मिशन ने लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है, इसके चलते उनका स्वास्थ्य भी पहले से बेहतर हुआ है।
कर्नाटक का तुमकुर जिला स्वच्छ भारत मिशन का एक बड़ा उदाहरण है। स्थानीय लोगों और ग्रामीणों की हेल्थ पहले की तुलना में अब बेहतर हुई है। इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां लोगों ने साफ-सफाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है।
दरअसल, स्वच्छ भारत मिशन के तहत तुमकुर जिले के मैदाल ग्राम पंचायत क्षेत्र के 100 फीसद घरों को कवर किया गया। इस वजह से इस क्षेत्र को शौच मुक्त किया गया। पहले यहां खुले में शौच के कारण अधिकतर लोग बीमारियों से पीड़ित थे। मगर स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने के बाद उनके स्वास्थ्य में बहुत बड़ा बदलाव आया है।
स्वच्छ भारत मिशन की वजह से उनकी जिंदगी में आए बदलावों को लेकर ग्रामीणों ने आईएएनएस से खास बातचीत की। ग्राम पंचायत अध्यक्ष उमेश ने कहा कि हर घर और सरकारी स्कूल में शौचालय का निर्माण किया गया है, इससे सामुदायिक स्वास्थ्य और स्वच्छता मानकों में बदलाव आया है।
उन्होंने कहा, “100 प्रतिशत परिवारों में अब उचित स्वच्छता सुविधा मौजूद होने के कारण खुले में शौच पर निर्भरता समाप्त हो गई है। यह परिवर्तन संक्रामक रोगों की घटना को कम करने में महत्वपूर्ण रहा है, जो पहले ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बने हुए थे।”
ग्राम पंचायत अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में नवनिर्मित शौचालयों से छात्रों के स्वास्थ्य और हाजिरी में सुधार हुआ है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “पहले बार-बार बीमार पड़ने के कारण छात्रों की अनुपस्थिति अधिक होती थी, लेकिन अब बेहतर स्वच्छता और सफाई के कारण छात्रों की उपस्थिति अधिक बनी हुई है।”
वहीं, करिकाल्पया गांव में सरकारी प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षिका लता ने स्वच्छ भारत मिशन की प्रशंसा की। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “पहले बच्चों को शौच के लिए खुले मैदानों में जाना पड़ता था, इससे उनकी जान का खतरा बना रहता था, जो छात्रों और अभिभावकों दोनों के लिए एक बड़ी चिंता थी। मगर स्वच्छता मिशन के तहत स्कूल में आधुनिक शौचालयों का निर्माण किया गया। इस सुविधा ने स्कूल के माहौल को काफी बेहतर बनाया है।”
स्कूल की एक छात्रा मोनिशा ने कहा, “पहले हमें शौच के लिए पेड़ के पीछे जाना पड़ता था, वहां सांपों और कीड़ों के काटने का खतरा बना रहता था। अब जब हमारे पास शौचालय है, तो हम उसी का इस्तेमाल करते हैं।”