नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)। चेन्नई टेस्ट जीतकर टीम इंडिया का काफिला कानपुर पहुंच चुका है। दो टेस्ट मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-0 की बढ़त के साथ भारत का पलड़ा भारी है। दूसरा मुकाबला 27 सितंबर से कानपुर में खेला जाएगा।
एक तरफ भारत की नजर ये मैच जीतकर सीरीज पर कब्जा जमाने पर होगी, जबकि मेहमान टीम हर हाल में कानपुर टेस्ट जीतकर सीरीज ड्रॉ कराना चाहेगी।
चेपॉक के बाद कानपुर में भी रोहित ब्रिगेड के पास कई बड़े रिकॉर्ड बनाने का मौका है, जिसमें टीम और व्यक्तिगत रिकॉर्ड शामिल है।
अगर टीम इंडिया कानपुर टेस्ट अपने नाम करती है, तो वो टेस्ट की चौथी सबसे कामयाब टीम बन सकती है। दरअसल, टीम इंडिया ने अब तक 580 में से 179 मुकाबले जीत लिए हैं, इतने ही टेस्ट दक्षिण अफ्रीका ने भी जीते हैं। कानपुर टेस्ट जीतकर भारत, दक्षिण अफ्रीका से आगे निकल जाएगा।
व्यक्तिगत रिकॉर्ड की बात करें तो, कानपुर में महज 35 रन बनाते ही विराट 27 हजार इंटरनेशनल रन बनाने वाले चौथे खिलाड़ी बन जाएंगे।
उनके नाम दो रिकॉर्ड और जुड़ सकते हैं। विराट के बल्ले से टेस्ट क्रिकेट में काफी समय से कोई बड़ी पारी नहीं आई है। भारत के पूर्व कप्तान विराट कोहली (फिलहाल 114 टेस्ट में 8,871) 9,000 टेस्ट रन के करीब हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें एक एक बड़ी शतकीय पारी खेलनी होगी।
साथ ही, विराट कोहली के नाम 114 टेस्ट में 29 सेंचुरी हैं। वे बांग्लादेश के खिलाफ एक भी शतक लगाते हैं तो ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज सर ब्रैडमैन (52 टेस्ट में 29 शतक) से ज्यादा शतक लगा लेंगे।
इंटरनेशनल क्रिकेट में शतक के मामले में राहुल द्रविड़ से आगे निकल सकते हैं रोहित शर्मा। द्रविड़ के नाम 48 इंटरनेशनल शतक हैं। जबकि रोहित के नाम भी कुल 48 शतक हैं। अगर वो बांग्लादेश के खिलाफ शतकीय पारी खेलते हैं, तो वो द्रविड़ को पीछे छोड़ सकते हैं।
कानपुर में 9 विकेट लेकर अश्विन, लायन से आगे निकल सकते हैं। लायन के नाम (129 टेस्ट में 530 विकेट), जबकि अश्विन 101 टेस्ट में 522 विकेट ले चुके हैं। इसके साथ ही अश्विन के निशाने पर और भी कई बड़े रिकॉर्ड होंगे।
रवींद्र जडेजा 300 टेस्ट विकेट के करीब। कानपुर में एक और विकेट लेते ही वो टेस्ट में 300 विकेट पूरे कर लेंगे।
कानपुर में 27 सितंबर से शुरु होने वाले भारत बांग्लादेश टेस्ट की पिच के बारे में बात करे तो यह दोनों टीमों के लिए नई मुश्किलें पैदा कर सकती है।
चेन्नई की लाल मिट्टी के बजाय यहां काली मिट्टी होगी, उछाल भी ज्यादा नहीं होगी और गेंद भी अधिक कैरी नहीं करेगी।
लाल मिट्टी की पिच अन्य पिच की तुलना में कम पानी सोखती है और इसी कारण जल्दी सूखने भी लगती है। यही कारण है कि मैच के तीन से चार सत्र के बाद पिच में बड़ी-बड़ी दरार पैदा हो जाती हैं। इस पिच पर मैच की शुरुआत में तेज गेंदबाजों को काफी उछाल मिलता है। एक समान उछाल के कारण बल्लेबाजों को भी सेट होने के बाद खेलने में आसानी होती है। मगर जैसे-जैसे मिट्टी में दरार आने लगती है वैसे-वैसे स्पिन गेंदबाजों का पलड़ा भारी होता जाता है और खेल बल्लेबाजों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
हालांकि काली मिट्टी की पिच में क्ले की मात्रा अधिक होती है, वह पानी को बेहतर तरीके से सोखती है। जिससे पिच अधिक समय तक बिना दरार के बनी रह सकती है। हालांकि इससे असमान उछाल पैदा होता है और बल्लेबाजों को टिकने के लिए समय लेना पड़ता है। खासकर जब ऐसी पिचें टूट जाती हैं तब बल्लेबाजों को काफी दिक्कतें आती हैं।