नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। जामिया मिलिया इस्लामिया में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू किया गया है। खास बात यह है कि यह सम्मेलन दारा शिकोह पर केंद्रित है। यह भी बताया गया कि कैसे दारा शिकोह ने उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करने में योगदान दिया, जिससे सनातन धर्म को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिली।
सम्मेलन का शीर्षक ‘दारा शिकोह : सांस्कृतिक बहुलवाद और धार्मिक समन्वयवाद’ है। यहां कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के साथ-साथ भारत में ईरान व उज्बेकिस्तान के राजदूत भी उपस्थित रहे।
यह सम्मेलन जामिया के नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट रेज़ोल्यूशन द्वारा सेंटर फॉर पर्शियन एंड सेंट्रल एशियन स्टडीज, एसएलएल एंड सीएस, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और दारा शिकोह रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम में जामिया और जेएनयू के संकाय सदस्यों के साथ-साथ उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान व ईरान आदि के छात्रों ने भी भाग लिया। जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ ने दारा शिकोह के चरित्र पर प्रकाश डाला। दारा शिकोह के योगदान के बारे में विस्तार से बताया।
कुलपति ने कहा, ”कोई भी देश भारत की बराबरी नहीं कर सकता। यह एक ऐसी भूमि है, जिसने कबीर, रहीम और रसखान जैसे लोगों को जन्म दिया है। यहां गंगा-जमुनी संस्कृति और समावेशी मानसिकता पनपी है। इस देश के अनूठे दृष्टिकोण ने दारा शिकोह जैसी हस्तियों के उद्भव को बढ़ावा दिया है, जिन्हें लोगों से स्नेह मिला।”
उन्होंने भारत की समावेशी संस्कृति के समृद्ध ताने-बाने पर चर्चा की और इस बात पर बल दिया कि इस देश ने न केवल विभिन्न धर्मों और उनके अनुयायियों को अपनाया बल्कि उन्हें पनपने भी दिया। जिस प्रकार से भारत में फारसी भाषा को अपनाया और प्रचारित किया गया, उससे उन क्षेत्रों के लोग सीखने और समझने के लिए यहां आए। भारत विश्व भर की भाषाओं और संस्कृतियों के प्रति अपने सम्मान के लिए जाना जाता है।
जेएनयू के प्रो. अखलाक अहमद ने उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करने में दारा शिकोह के योगदान पर विस्तार से बताया। दारा शिकोह के इस कदम से धर्मों, खासकर सनातन धर्म को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिली।
एनसीपीयूएल के निदेशक डॉ. मोहम्मद शम्स इकबाल ने अपने भाषण के दौरान दारा शिकोह की विशिष्टताओं पर प्रकाश डाला। दारा शिकोह प्रायोजित इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में भारत और विदेशों के शोधकर्ता और वक्ता गुरुवार को भी अपना संबोधन देंगे।
इस कार्यक्रम में बारह शैक्षणिक सत्रों में 120 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। कार्यक्रम में जामिया के कुलपति और सम्मेलन के संयोजक प्रो. मज़हर आसिफ, जामिया के कुलसचिव प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवी समेत कई प्रोफेसर व शिक्षाविद् मौजूद रहे। इनके अलावा भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही और भारत में उज्बेकिस्तान के राजदूत सरदार मिर्जायुसुपोविच रुस्तम्बेयेव शामिल रहे।