रांची, 9 सितंबर (आईएएनएस)। 19 वषीर्या नेत्रहीन रेप पीड़िता युवती का गर्भपात कराने के लिए दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) के निदेशक को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार को पीड़िता को शेल्टर होम या फिर ऐसी जगह शिफ्ट करने का निर्देश दिया गया है, जहां उसकी समुचित देखभाल हो सके।
पीड़िता की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल जांच कराई गई थी, जिसमें उसे 28 सप्ताह का गर्भ बताया गया है। आदिवासी समुदाय से आनेवाली पीड़िता नगड़ी थाना क्षेत्र में रहती है। जब वह नाबालिग थी तो वर्ष 2018 में भी उसके साथ रेप की घटना हुई थी। इससे संबंधित मामला निचली अदालत में चल रहा है। उसके साथ दूसरी बार रेप की घटना इसी साल तब हुई, जिसकी वजह से वह 28 सप्ताह की गर्भवती बताई जा रही है। पीड़िता के पिता रिक्शा चालक हैं। उसकी मां का निधन हो गया है। उसके पिता जब वह अपने काम पर गए थे, तब घर में अकेली पाकर किसी ने उसके साथ रेप किया। वह गरीबी रेखा से नीचे आती है। उसके घर में न तो बिजली व्यवस्था है और न गैस की व्यवस्था है। इलाज के लिए उसके पास पैसे भी नहीं है। गर्भवती हो जाने पर उसने हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर करने के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने का आग्रह किया है, ताकि सुरक्षित गर्भपात हो सके।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रिम्स निदेशक को निर्देश दिया है कि मेडिकल बोर्ड गठित कर यह सुनिश्चित करायें कि उसका गर्भपात कराना सुरक्षित है या नहीं। कोर्ट ने युवती की मेडिकल रिपोर्ट सील सील बंद लिफाफे में कोर्ट में 12 सितंबर को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर निर्धारित की गई है।
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