तमिलनाडु के लिए तीन-भाषा नीति की जरूरत नहीं : कार्ति चिदंबरम

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मनमदुरै (तमिलनाडु), 7 मार्च (आईएएनएस)। तमिलनाडु की शिवगंगा लोकसभा सीट से सांसद कार्ति चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि तमिलनाडु में तीन-भाषा नीति की कोई जरूरत नहीं है।

कांग्रेस सांसद ने यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा कि राज्य में पहले से ही दो-भाषा नीति लागू है, जिसमें तमिल और अंग्रेजी दोनों को अच्छी तरह से सिखाना पर्याप्त है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “मेरी बेटी ने भी तमिल और अंग्रेजी में पढ़ाई की है। यह नीति तमिलनाडु के लिए फायदेमंद है और इसे बिना किसी बदलाव के जारी रखा जाना चाहिए।”

उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह हिंदी को जबरदस्ती थोपने की कोशिश कर रही है। यहां तक कि संसद में भी अंग्रेजी में कुशल अधिकारी जानबूझकर हिंदी में बोलते हैं। यदि भाजपा सरकार तमिलनाडु के स्कूलों में हिंदी थोपने की कोशिश करेगी, तो लोग इसे उनके विचारों के प्रचार के रूप में देखेंगे। तमिलनाडु के लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे।

कार्ति चिदंबरम ने कहा कि तमिलनाडु में भाजपा का कोई समर्थन नहीं है। चाहे वे मिस्ड कॉल या हस्ताक्षर अभियान चला लें, लोग उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे। यहां कोई भी राजनीतिक दल तीन-भाषा नीति से सहमत नहीं होगा। आने वाले चुनावों में लोग भाजपा और उनके गठबंधन को नकार देंगे।

उन्होंने ‘इंडिया’ ब्लॉक को लेकर कहा, “साल 2026 के विधानसभा चुनावों के बारे में बात करना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन कोई भी पार्टी इस गठबंधन को नहीं छोड़ेगी। विपक्षी दलों पर निर्भर करेगा कि वे किसके साथ गठबंधन करना चाहते हैं।”

कार्ति चिदंबरम ने बताया कि तमिलनाडु के लिए विशेष ट्रेनों के संचालन के लिए केंद्रीय रेल मंत्री को बार-बार पत्र लिखने के बावजूद कोई उत्तर नहीं मिला है। उन्होंने कहा, “लगता है कि रेलवे के महाप्रबंधक के पास कोई वास्तविक अधिकार नहीं है।”