नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ‘नौकरियां आपके द्वार पर’ शीर्षक से शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी की। यह छह राज्यों हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान के नौकरी परिदृश्य पर आधारित एक विस्तृत रिपोर्ट है। यह प्राथमिकता वाले ऐसे क्षेत्रों की पहचान करती है, जो माध्यमिक विद्यालय से स्नातक तक युवाओं के लिए सबसे अधिक रोजगार क्षमता प्रदान करते हैं। इस मौके पर विश्व बैंक, भारत के कंट्री डायरेक्टर व विश्व बैंक, भारत की प्रमुख मौजूद रहीं।
दरअसल विश्व बैंक शिक्षा मंत्रालय को इन राज्यों के लिए इस कार्यक्रम में सहायता करता है। इनमें हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान शामिल हैं। यह रिपोर्ट इन छह राज्यों के जिलों में जमीनी स्तर पर कक्षा 9-12 तक कौशल-आधारित शिक्षा को शामिल करने के महत्वपूर्ण लाभों को रेखांकित करती है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक ‘नौकरियां आपके द्वार पर’ एक कौशल अंतर विश्लेषण है। यह स्कूलों में प्रस्तुत किए जाने वाले शिल्पों को उन जिलों की उद्योग-विशिष्ट आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने का प्रयास करता है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया के साथ यह रिपोर्ट जारी की। धर्मेंद्र प्रधान ने छह राज्यों पर विस्तृत रिपोर्ट के लिए विश्व बैंक की टीम की सराहना की। उन्होंने विश्व बैंक की टीम को अखिल भारतीय रूपरेखा अपनाने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि कौशल और नौकरियों पर इस तरह की गहन जांच हमारी जनसंख्या को सशक्त बनाने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने नौकरियों और रोजगार की परिभाषा को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
प्रधान ने कहा कि रूपरेखा को व्यापक बनाया जाना चाहिए और आर्थिक अवसरों और सशक्तिकरण के परिप्रेक्ष्य से देखा जाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को वैश्विक कौशल केंद्र में परिवर्तित के दृष्टिकोण के प्रति आभार व्यक्त किया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि देश की जनसंख्या वैश्विक अर्थव्यवस्था का चालक होगी। इसके लिए कौशल विकास की शुरुआत स्कूलों से ही होनी चाहिए। एनईपी 2020 में स्कूलों में कौशल विकास को मुख्यधारा में लाने की परिकल्पना की गई है।
प्रधान ने यह भी कहा कि भविष्य के लिए कार्यबल को लगातार कौशल प्रदान करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कौशल प्रदान करने के लिए एक ‘समग्र सरकार’ दृष्टिकोण और सहयोगात्मक रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। वहीं डॉ. मनसुख मंडाविया ने अपने संबोधन में बताया कि पिछले बजट में हब-एंड-स्पोक मॉडल के अनुसार क्षेत्र-विशिष्ट कौशल और रोजगार की संभावनाओं का दोहन करने के लिए पाठ्यक्रम विकसित करने का प्रस्ताव किया गया था।
उन्होंने रोजगार से परे नौकरी की परिभाषा को सही करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि अकादमिक शिक्षा में अनौपचारिक शिक्षा को शामिल करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता के लिए उनका आभार व्यक्त किया, जो देश को कुशल प्रतिभाओं का वैश्विक केंद्र बनाने की ओर अग्रसर कर रहा है।
–आईएएनएस
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