लखनऊ, 24 सितंबर (आईएएनएस)। फलों के राजा आम का कुनबा और समृद्ध होने जा रहा है। आम की एक नई प्रजाति अवध समृद्धि शीघ्र सामने आने वाली है। एक अन्य प्रजाति ‘अवध मधुरिमा’ भी रिलीज होने के लिए तैयार है। इन दोनों प्रजातियों का विकास केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) रहमानखेडा, लखनऊ ने किया है।
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन के अनुसार अवध समृद्धि नियमित फल देने वाली एवं जलवायु लचीली संकर प्रजाति है। रंगीन होना इसके आकर्षण को और बढ़ा देता है। एक फल का वजन करीब 300 ग्राम होता है। पेड़ की साइज मीडियम होती है। यह प्रजाति सघन बागवानी के लिए उपयुक्त है। 15 साल के पेड़ की ऊंचाई करीब 15 से 20 फीट होती है। इसलिए, इसका प्रबंधन भी आसान होता है। इसके पकने का सीजन जुलाई अगस्त होता है। अवध समृद्धि का फील्ड ट्रायल चल रहा है। उम्मीद है कि यह शीघ्र ही रिलीज हो जाएगी।
स्वाभाविक है कि इन दोनों प्रजातियों का सर्वाधिक लाभ भी उत्तर प्रदेश को मिलेगा, क्योंकि आम का सर्वाधिक उत्पादन भी उत्तर प्रदेश में ही होता है। आकर्षक रंग, एवरेज साइज और अधिक दिनों तक भंडारण योग्य होने के नाते इनके निर्यात की संभावना भी अधिक है। अमेरिका सहित यूरोपियन बाजार में आम की रंगीन किस्में अधिक पसंद की जाती हैं। स्थानीय बाजारों में भी तुलनात्मक रूप से इनके दाम बेहतर मिलते हैं। संयोग से हाल के कुछ वर्षों में सीआईएसएच ने जिन चार प्रजातियों का विकास किया है, वे सभी रंगीन हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा भी उत्तर प्रदेश को कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट का हब बनाने की है। उत्पाद कम समय में एक्सपोर्ट सेंटर तक पहुंचे, इसके मद्देनजर एक्सप्रेसवे का जाल बिछाया जा रहा है। पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे चालू हो चुकी हैं। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का काम भी लगभग पूरा है। मुख्यमंत्री का साफ निर्देश है कि महाकुंभ के पहले मेरठ से प्रयागराज को जोड़ने वाले गंगा एक्सप्रेसवे का काम पूरा हो।
इसी क्रम में सरकार जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को एक्सपोर्ट के हब के रूप में विकसित करने जा रही है। अमेरिका और यूरोप के देशों में कृषि उत्पादों के मानक बेहद कठिन हैं। इसके लिए भी योगी सरकार यहां जरूरी संरचना तैयार करने जा रही है। भविष्य में यह काम अयोध्या और कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भी संभव है। प्रयागराज से हल्दिया तक बना देश का इकलौता जलमार्ग भी इसका जरिया बन रहा है। इस जलमार्ग को अयोध्या से भी जोड़ने की योजना है।
इसके पहले भी सीआईएसएच-अंबिका और सीआईएसएच-अरुणिका प्रजातियां विकसित कर चुका है। अंबिका नियमित फल वाली, अधिक उपज और देर से पकने वाली किस्म है। पीले रंग के फल के छिलके पर आकर्षक गहरा लाल ब्लश होता है। गूदा गहरा पीला, ठोस, कम रेशे वाला एवं अच्छी गुणवत्ता वाला होता है। फल की भंडारण क्षमता अच्छी है। फलों का वजन लगभग 350-400 ग्राम होता है। रोपण के 10 साल बाद प्रति पौध उपज करीब 80 किलोग्राम मिलती है।
वहीं, अरुनिका भी नियमित फल और देर से पकने वाली किस्म है। फल आकर्षक लाल ब्लश के साथ चिकने, नारंगी पीले रंग के होते हैं, जो उत्तम स्वाद के साथ उत्कृष्ट गुणवत्ता रखते हैं। फल की भंडारण क्षमता अच्छी है। वजन लगभग 190-210 ग्राम, गूदा नारंगी पीला, ठोस एवं कम रेशे वाला होता है। इसका पेड़ बौना और सघन छाया वाला होता है। रोपण के बाद 10 वर्षों में लगभग 70 किलोग्राम प्रति पौधा उपज मिलती है। यह प्रजाति सघन बागवानी के लिए उपयुक्त है।
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आशीष यादव के मुताबिक आम की किसी प्रजाति के विकास में करीब दो दशक लग जाते हैं। पहले चरण में विकसित करने वाले संस्थान में ही ट्रायल चलता है। यहां से संतुष्ट होने के बाद इसे देश और प्रदेशों के अन्य संस्थाओं में ट्रायल के लिए भेजा जाता है। हर जगह से पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद संबंधित प्रजाति को रिलीज किया जाता है।