भोपाल, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनाव में जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकता है, क्योंकि इस संगठन से जुड़े लोग कांग्रेस से दूर जाकर चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं।
राज्य में वर्ष 2023 में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और इन चुनावों में आदिवासी वर्ग की भूमिका अहम रहने वाली है। इसकी वजह भी है, क्योंकि राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 84 सीटें ऐसी हैं, जहां यह वर्ग निर्णायक है। इनमें से 47 सीटें तो आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित ही हैं।
वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को जयस का साथ मिला था और कांग्रेस की ताकत भी बढ़ी थी। कांग्रेस ने 47 में से 31 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार जयस बड़ी सौदेबाजी के मूड में है या फिर वह स्वतंत्र होकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। जयस के प्रमुख डॉ. हीरालाल अलावा लगातार एक ही बात कहते आ रहे हैं कि उनका संगठन इस बार कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ेगा और इस दिशा में वे आगे भी बढ़ रहे हैं। इसके लिए अन्य वर्गो से भी उनकी बातचीत चल रही है, जिसमें ओबीसी महासभा, माझी समाज आदि शामिल है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर जयस कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ता है तो कांग्रेस के लिए नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहेगी ऐसा इसलिए, क्योंकि अब तक आदिवासी वोटबैंक कांग्रेस का माना जाता रहा है। जयस अगर अलग होकर चुनाव लड़ेगा तो कांग्रेस की सत्ता की राह आसान नहीं रह जाएगी।
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