
- मामे खान ने श्रोताओं को सराबोर किया अपने मनमोहक लोक गीतों से
- क्षमा मालवीय ने 50 कलाकारों के साथ दी नृत्य प्रस्तुति
- अमोल गुप्ते और सौमित्र रानाडे के साक्षात्कार सत्रों का आयोजन
- तीन दिन से लगातार चल रहा है चिल्ड्रन कार्निवल
- “फिर मिलेंगे” के वादे के साथ विश्वरंग का हुआ समापन
भोपाल : 28 नवंबर/ कला और साहित्य के सबसे बड़े महोत्सव –विश्वरंग के आखिरी दिन 28 नवंबर को सिंगर मामे खान ने अपनी प्रस्तुति से विश्वरंग के इस संस्करण को यादगार बना दिया। उन्होंने अपने बेहतरीन और सबसे ज्यादा प्रसिद्ध गाने केसरिया बालम पधारो म्हारे देश... से शुरुआत की। इसके बाद लुक छुप न जाओ जी......चौधरी, उसके बाद आवे रे हिचकी..., सानू एक पल चैन न आवे..., लाल पीली आंखियां.... जैसे गानों से दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। मामे खान राजस्थान से आते हैं, वे भारत के एक पार्श्वगायक (प्लेबैक) और लोक गायक हैं। उन्होंने फिल्म लक बाय चांस, आई एम, नो वन किल्ड जेसिका, मिर्जया और सोनचिरैया जैसी फिल्मों में अपनी आवाज दे चुकें हैं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ लोक एकल पुरस्कार मिला है। वहीं वैश्विक भारतीय संगीत अकादमी पुरस्कार (जीआईएमए) से 2016 में सम्मानित किया गया था। मामे खान के पिता, उस्ताद राणा खान भी एक राजस्थानी लोक गायक थे। वहीं कथक डांसर क्षमा मालवीय ने अपने 50 कलाकारों के साथ संतोष चौबे की 8 कविताओं की रचना पर 45 मिनट की प्रस्तुति दी। वहीं “फिर मिलेंगे” के वादे के साथ विश्वरंग के तीसरे संस्करण का समापन हुआ।
फिल्म 'The boy who drew cats' की हुई स्क्रीनिंग
आज के पहले सत्र में 'The boy who drew cats' जो कि एक जापान की कथा है और 'The monkey king' जो कि हॉन्गकॉन्ग की एक्शन फिल्म है उनकी स्क्रीनिंग की गई।
फिल्म मेकर अमोल गुप्ते का हुआ साक्षात्कार
दूसरे सत्र में बेहतरीन लेखक, अभिनेता और निर्देशक अमोल गुप्ते से साक्षात्कार किया विश्वरंग के सह निदेशक सुदीप सोहनी ने। अमोल गुप्ते ने तारे जमीन पर, स्टेनली का डब्बा, स्निफ जैसी बेहतरीन मूवीज भारत को दी है। अमोल गुप्ते ने बताया कि कैसे उन्हें बच्चों में अपना 'लास्ट बीच' यानी गढ़ मिल गया है। वे बच्चों के साथ सुरक्षा और खुशी महसूस करते है। क्योंकि बच्चों ऑनेस्ट होते है। उन्होंने बच्चों को अपना गुरु बना लिया, उन्होंने कहा कि जिनके पास वोटिंग राइट्स नहीं है उनकी परेशानियों के लिए मैं काम करना चाहता हूं, उनकी समस्याएं सबके सामने रखना चाहता हूं। मैं हमेशा उनके साथ खड़ा रहना चाहता हूं। उन्होंने बताया कि बच्चों के साथ रहकर उनका फ्रस्ट्रेशन कम हो जाता है। साथ ही कहा कि आजकल जो आइटम सांग्स बन रहे हैं उनसे बच्चों के दिमाग का कत्ल हो रहा है, मां-बाप को यह चीज ध्यान रखनी चाहिए कि वह बच्चों को क्या दिखा रहे हैं। बच्चों को सिर्फ सुपर हीरो मूवीज़ दिखाने से बात नहीं बनेगी, बच्चों को शुरुआत से वर्ल्ड सिनेमा दिखाने की आदत डालनी चाहिए। उनका मानना है कि फिल्मों को एक सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाना चाहिए जैसे हम फिजिक्स केमिस्ट्री पढ़ाते हैं।
स्क्रीनप्ले राइटर सौमित्र रानाडे से बातचीत
तीसरे सत्र में स्क्रीनप्ले राइटर और फिल्म निर्देशक सौमित्र रानाडे से साक्षात्कार किया सुदीप सोहनी ने। सौमित्र रानाडे ने जजंतरम ममंतरम, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, गूपी गवैया बाघा बजैया, हमारा हीरो शक्तिमान जैसी फ़िल्में हमें दी है। सुमित्रा रानाडे ने महोत्सव में उपस्थित होने पर खुशी जताई उन्होंने कहा कि हमें ऐसे मंच की बेहद जरूरत है क्योंकि एक फिल्म किसी की जिंदगी में बहुत बड़ा फर्क़ ला सकती है। फिल्में हमारी सोच और हमारे व्यक्तित्व को बनाने में फिल्में बहुत बड़ा रोल प्ले करती हैं। उन्होंने आगे बताया कि हर बच्चा अलग होता है मगर सभी बच्चों में कहीं ना कहीं कुछ समानता भी है। उन्होंने बताया कि वे जब भी कोई कहानी लिखते हैं तो वे खुद को ध्यान में रखकर लिखते हैं क्योंकि उनका मानना है कि हम सभी के अंदर कहीं ना कहीं बच्चा है और अगर वह कहानी उन्हें कुछ करती है तो वह समझ जाते हैं कि बच्चे इसे बेहद पसंद करने वाला है। उन्होंने कहा कि फिल्म में सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं होना चाहिए फिल्म से हमें कुछ सीखने मिले ऐसा जरूरी है।
गेट सेट पैरेंट विथ पल्लवी में हुईं वर्कशाप
विश्वरंग के अगले सत्र में कार्टूनिस्ट वैभव कुमारेश ने कैरक्टर स्केचिंग पर वर्कशॉप ली। उन्होंने बच्चों को कार्टून करैक्टर डिज़ाइन करना सिखाया। वर्कशॉप के आखिर में बच्चों ने अपने करैक्टर डिज़ाइन बनाये और उनसे कॉमिक तैयार की।
दूसरे लाइव सत्र में योर स्टोरी बैग की फाउंडर रितुपर्णा घोष ने बच्चों को एक रोचक कहानी 'The 8th Donkey' सुनाई।
तीसरे सत्र में स्वांग वाले परफॉर्मिंग आर्ट्स एंड सोशल वर्क समिति ने R2G2 नाटक प्रस्तुत किया। जिसे लिखा, डिज़ाइन और परफॉर्म किया गया है धनेंद्र कवाड़े के द्वारा।
चिल्ड्रन कार्निवल का हुआ समापन
चिल्ड्रन फेस्ट कार्निवल पिछले तीन दिनों से जारी है। मेले हमेशा से बच्चों को आकर्षित करते आये हैं। बच्चों ने अलग-अलग प्रकार की क्रिएटिव वर्कशॉप्स में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस मेले में बच्चों ने कई कलाएं सीखी और अपने कलाकृतियां भी प्रस्तुत कीं।
शिक्षकों के सम्मान पुरुस्कारों की हुई घोषणा
आइसेक्ट ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज़ की ओर से आयोजित किए जाने वाले शिक्षक सम्मान की घोषाणा विश्वरंग के समापन समारोह के दौरान की गई इसमें देशभर से 6 शिक्षकों को चुना गया है। बता दें, इन शिक्षकों को ऑनलाइन वोटिंग के जरिए छात्रों द्वारा चुना गया है। इसमें सीवीआरयू की काजल मैत्र (जियोग्राफी), आईसेक्ट यूनिवर्सिटी हजारीबाग की नेहा सिन्हा (जूलॉजी), आईसेक्ट यूनिवर्सिटी हजारीबाग की उमा कुमारी (अकाउंट्स), आईईसी यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के पंकज शर्मा (हॉस्पिटैलिटी), इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल भोपाल के भीम कुमार शॉ (मैथ्स) और गुरुकुल विद्यापीठ ग्वालियर के विकास कुमार शर्मा (फिजिक्स) को दिया जाएगा।