
परंपराओं की याद दिलाता है कविता संग्रह 'बातों के चित्र'
'युवा रचनाकार 'विशाखा राजुरकर राज' का पहला कविता संग्रह 'बातों के चित्र' हुआ लोकार्पित
भोपाल : 31 जनवरी/ प्रेम की अद्भुत कविताएँ रचतीं हैं विशाखा। ये प्रेम के दोनों पक्षों संजोग और बिछोह की बात करती है। उनकी कविताएँ प्रेम के इन्द्रधनुष रंगों और रस से ओतप्रोत बहुत सुंदर और परिपक्व कविताएँ हैं। ये कविताएँ हमें अपने भीतर समेट लेती है और बहुत गहरी संवेदनाओं से भी भर देतीं है। दिल को स्वच्छ और दिमाग को प्रकाशित भी करती है। विशाखा बहुत सुंदर वाक्य बनाती है और उतनी ही सुंदरता के साथ कविताएँ पढ़ती भी है।
उक्त उद्गार श्री संतोष चौबे, वरिष्ठ कवि-कथाकार, निदेशक, 'विश्व रंग' एवं कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल ने 'आईसेक्ट पब्लिकेशन' द्वारा युवा कवयित्री 'विशाखा राजुरकर राज' के ताजा प्रकाशित पहले कविता संग्रह 'बातों के चित्र' के लोकार्पण समारोह एवं पुस्तक–चर्चा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
यह आयोजन विश्वरंग' के अंतर्गत रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल के तत्वावधान में वनमाली सृजन पीठ, भोपाल एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा संयुक्त रूप से विश्वविद्यालय के 'कथा सभागार' में ऑफलाइन एवं ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया।
श्री संतोष चौबे ने आगे कहा कि विशाखा की कविताओं में आसमान, चाय, एकांत, बारिश, रंग, पहाड़, नदी, तितलियाँ, याद, इंतजार आदि शब्द बार–बार आते हैं। आसमान पुरुष के विस्तार का प्रतीक है। चाय एकांत की जगह आती है। यह प्रेम का प्रतीक है। प्रेम के लिए एकांत लगता है और एकांत में चाय लगती है। बारिश, नदियाँ, पहाड़ हमारे यहाँ हमेशा से प्रेम के प्रतीक रहे हैं।
इस अवसर पर विशाखा राजुरकर राज ने आइसेक्ट पब्लिकेशन वनमाली सृजन पीठ, भोपाल, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के प्रति हार्दिक साधूवाद व्यक्त करते हुए एवं अपने रचनाकर्म पर बोलते हुए बहुत ही सुंदर तरीके से चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया। विशाखा ने इस संग्रह की पहली कविता 'तितलियाँ बटोरने वाली लड़की' में प्रेम को अनुठे रूप में अभिव्यक्त करते हुए कहा कि–
एक लड़की
तितलियाँ बटोरती है
अनगिनत।
कहती है कि प्रेम चिट्ठियाँ हैं
ऐसी
जो शायद उसके लिए नहीं लिखी गई
इसलिए
वह उन्हें पढ़ नहीं पाती।
पर,
उस लड़की की उँगलियों पर रंग हैं
उन प्रेम चिट्ठियों के...
इस अवसर पर श्री मुकेश वर्मा, वरिष्ठ कथाकार, अध्यक्ष, वनमाली सृजन पीठ एवं निदेशक, आईसेक्ट पब्लिकेशन, भोपाल ने कहा कि विशाखा ने अपनी कविताओं में प्रेम के व्यापक दृष्टिकोण को रेखांकित किया है। यह प्रेम जीवनसाथी के लिए है। माँ के लिए है। मित्रों के लिए है। प्रकृति के लिए है। आने वाले कल के लिए भी है।
श्री बलराम गुमास्ता, वरिष्ठ कवि ने कहा कि विशाखा ने अपनी कविताओं के माध्यम से प्रेम का एक अद्भुत संसार रचा है। आज संसार को सबसे ज्यादा जरूरत प्रेम की ही है। ऐसे में युवा कवियत्री विशाखा का अपने पहले ही कविता संग्रह में इतनी गहरी संवेदनाओं और करुणा लेकर परिपक्व प्रेम कविताओं के साथ प्रस्तुत होना नई संभावनाओं के द्वार खोलतीं है।
सुश्री रमा निगम, वरिष्ठ रचनकार ने कहा कि बातों के चित्र कविता संग्रह की सभी कविताएँ हमारे मन में प्रेम की ज्योत जगाती है। हमारे अंतर्मन को भीगों देतीं है।
श्रीमती करुणा राजुरकर राज ने कहा कि विशाखा की चयन दृष्टि बहुत परिपक्व है। उसके लेखन में भी वह परिलक्षित होती है। वह हर कार्य को योजनाबद्ध रूप से बहुत सलीके से करने में विश्वास रखतीं है। सभी को उसकी रचनाएँ इतनी पसंद आई यह मेरे लिए सुखद अनुभूति है।
श्री राजुरकर राज, निदेशक, दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय ने कहा कि विशाखा ने शुरुआत से ही हमें गौरवान्वित होने के सुखद अवसर प्रदान किये हैं। पढ़ाई के दौरान भी वह हमेशा अव्वल रही है। आज उसके पहले कविता संग्रह 'बातों के चित्र' की रचनाओं पर देश के ख्यातनाम रचनाकारों के इतने सुंदर विचारों को सुनकर में बहुत अभिभूत हूँ। मेरी यहीं मंगलमय कामना है कि विशाखा इसी तरह अपनी रचनात्मक यात्रा जारी रखें।
कार्यक्रम का सफल एवं विचारोत्तेजक संचालन युवा कथाकार एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन के संपादक श्री कुणाल सिंह द्वारा किया गया।
स्वागत उद्बोधन वनमाली सृजन पीठ, भोपाल के संयोजक संजय सिंह राठौर द्वारा दिया गया।
इस अवसर पर कथा सभागार में रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति डॉ. संगीता जौहरी, टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र के निदेशक एवं वरिष्ठ कला समीक्षक श्री विनय उपाध्याय, आईसेक्ट पब्लिकेशन के प्रबंधक श्री महीप निगम, युवा कवि श्री मोहन सगोरिया, युवा आलोचक श्री अरुणेश शुक्ल, टैगोर स्टुडियो प्रमुख श्री रोहित श्रीवास्तव सहित विश्वविद्यालय परिवार के कई प्रमुख डीन, एचओडी, फेकल्टी मेंबर तथा तकनीकी टीम के सदस्यों ने रचनात्मक भूमिका निभाई। ऑनलाइन माध्यम पर भी बड़ी संख्या में वरिष्ठ एवं युवा रचनाकारों तथा साहित्यप्रेमियों ने अपनी रचनात्मक उपस्थिति दर्ज कराई।
कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों, ऑनलाइन–ऑफलाइन उपस्थित सभी साहित्यकारों, साहित्यप्रेमियों के प्रति आभार आईसेक्ट पब्लिकेशन की उप-संपादक सुश्री ज्योति रघुवंशी द्वारा व्यक्त किया गया।