
भोपाल : 24 नवंबर/ सबरंग साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं कला समिति, भोपाल और हलक़ा ए अरबाब ए अदब के संयुक्त तत्वावधान में सुविख्यात साहित्यकार प्रोफे़सर आफ़ाक़ अहमद की स्मृति में स्थापित "राष्ट्रीय अवार्ड बराए हिंदी अदब" से श्री संतोष चौबे, वरिष्ठ कवि-कथाकार, निदेशक विश्व रंग एवं कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय को समारोह पूर्वक अलंकृत किया गया। यह राष्ट्रीय अवार्ड समारोह राज्य संग्रहालय, श्यामला हिल्स, भोपाल में आयोजित किया गया। इस अवसर पर जनाब जिया फारूकी को राष्ट्रीय अवार्ड बराए उर्दू अदब से अलंकृत किया गया।
यह अवार्ड मध्य प्रदेश की सक्रिय सांस्कृतिक संस्था, ‘सबरंग साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं कला समिति ,भोपाल’ द्वारा उर्दू व् हिंदी साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्ति को प्रतिवर्ष दिया जाता है ।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो. हसन मसूद ने कहा कि प्रो. आफाक अहमद एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार थे । उनके नाम से सम्मान देना उस विचार को ज़िन्दा रखने जैसा है । क्योंकि संसार के सब बड़े लोग अपने विचार से ही हमारे बीच हमेशा रहते हैं और मेरे साथी मेरे दोस्त आफाक भी उसी श्रेणी में आते हैं ।
प्रो. आफाक अहमद स्मृति सम्मान 2020-21 से सम्मानित वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार श्री संतोष चौबे ने कहा कि आफाक साहब एक ऐसी ज्योति के रूप में हमारे साथ चल रहे हैं जो हमें प्रकाश के साथ ऊर्जा भी देती है | साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान अनुकरणीय है । आफाक अहमद सम्मान के लिए मैं सबरंग संस्था का आभारी हूँ। इस अवसर पर श्री संतोष चौबे ने अपनी चुनिंदा कविताओं का बहुत ही उम्दा पाठ किया, जिसे सभी सुधिजनों ने काफी सराहा।
प्रो. आफाक अहमद स्मृति सम्मान 2020-21 से सम्मानित वरिष्ठ उर्दू शायर-अदीब जनाब ज़िया फारुकी ने अवार्ड के लिए सबरंग का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि प्रो. आफाक साहब यूँ तो उर्दू के स्कॉलर थे लेकिन उनका ताल्लुक विश्व साहित्य से था और वह साहित्य में भाषाई अंतर के पक्षधर नहीं थे। इस अवसर आपने कई बेहतरीन नज्मों को पेश कर इस समारोह को और यादगार बना दिया।
सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व प्रशासनिक अधिकारी व प्रो.आफाक अहमद के साथी श्री देवी सरन ने कहा कि आफाक साहब हिंदी और उर्दू के लेखकों के बीच एक मज़बूत पुल थे । यह आयोजन उसी परंपरा को आगे ले जाने का एक ज़रूरी काम है । उन्होंने तरक्की पसंद तहरीक और लोकतान्त्रिक परंपरा को आगे ले जाने का काम किया । उनकी याद हमारे दिल दिमाग को हमेशा रोशन करती रहेगी ।
वरिष्ठ आलोचक श्री रामप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि आफाक साहब उर्दू के चलते फिरते विश्व कोष थे।
म.प्र. उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने कहा कि आफाक साहब के व्यक्तित्व के कई आयाम थे जो उन्हें असाधारण बनाते हैं ।आल इंडिया इकबाल मरकज़ और म.प्र. उर्दू अकादेमी में रहते हुए उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किये ।
कार्यक्रम में मौजूद प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार श्री राजेश जोशी, शिक्षाविद व सबरंग के संरक्षक डॉ शफी हिदायत कुरैशी , प्रसिद्ध लेखक और शायर श्री इकबाल मसूद, और उर्दू पत्रकार डॉ महताब आलम ने भी अपने विचार व्यक्त किये । अतिथियों का स्वागत सबरंग के सचिव श्री शायान कुरैशी एवं पदाधिकारियों ने तथा संचालन युवा साहित्यकार श्री बद्र वास्ती ने किया।