अयोध्या, 26 नवंबर (आईएएनएस)। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार भगवान राम की बारात निकलने के लिए तैयार है। लगभग 17 प्रांतों के राम भक्त और साधु-संत इस बारात में शामिल होंगे। बारात में जाने के लिए 4 विशेष रथ भी तैयार किए गए हैं, जिसमें एक पर 51 तीर्थों का जल और दूसरे पर प्रभु राम और माता सीता की मूर्तियां रहेंगी।
इसके साथ ही एक रथ पर राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के स्वरूप विराजमान किए गए हैं। आज निकलने वाली बारात 3 दिसंबर को जनकपुर पहुंचेगी। विवाह पंचमी के दिन ‘श्री सीताराम विवाह महोत्सव’ कार्यक्रम को संपन्न कराने तिरुपति बालाजी से लगभग 40 वैदिक ब्राह्मणों की टीम सीधे जनकपुर पहुंचेगी।
अयोध्या से लगभग 200 बाराती निकलेंगे। लेकिन, जनकपुर तक पहुंचाते हुए यह संख्या बढ़कर 500 के करीब पहुंच जाएगी। बारात में लगभग 17 प्रांतों के लोग शामिल होंगे।
दक्षिण भारत के साथ ही मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र के साधु-संत और लोग इसमें शामिल होंगे।
यह सभी लोग अयोध्या से जनकपुर के बीच में बारात में मिलते रहेंगे।
इसी संबंध में यात्री प्रभारी पंकज त्रिपाठी ने कहा, “बारात यात्रा विशेष परिस्थितियों में 2004 में शुरू हुई थी। उस समय भारत और नेपाल के संबंधों में खटास पैदा हुई थी। हम देखते हैं कि राजनीति तोड़ती है, लेकिन धर्म जोडता है। हमारे संतों ने निर्णय लिया है कि यह बारात जनकपुर जाए। त्रेतायुग में वो पहली बारात थी, जो अयोध्या से जनकपुर गई थी। प्रभु श्री राम की विवाह की लीला रसभरी है। ”
उन्होंने कहा, “इस कार्यक्रम को साथ लेकर हम राम के चरित्र, मर्यादा और सिद्धांत को आगे ले जाना चाहते हैं। राम और सीता एक ही तत्व के दो रूप हैं। समाज के सामने उन संबंधों को उजागर करके उसमें नई ऊर्जा भरने का काम करेंगे। इस बारात के माध्यम से हम इन संबंधों में मिठास भरने का काम करेंगे। आज रात यह बारात आजमगढ़ रूकेगी। इसके बाद कल मऊ से होते हुए बक्सर जाएगी। उत्तर प्रदेश में दो दिन यह बारात रहेगी। इसके बाद यह बिहार से होते हुए नेपाल में नगर भ्रमण करेगी। चार दिन नगर भ्रमण होगा। इसके बाद राम विवाह और राम कलेवा होगा। वहां पर अभावग्रस्त कन्याओं के विवाह का आयोजन भी किया जाएगा। तिरुपति बालाजी के 40 पंडित भी वहां आ रहे हैं। सात दिसंबर को सुबह बारात वहां से प्रस्थान करेगी।”