संभल की हिंसा को स्वीकारा नहीं जा सकता: नरेंद्र कश्यप

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मैनपुरी, 26 नवंबर (आईएएनएस)। पिछड़ा वर्ग एवं दिव्यांग कल्याण राज्यमंत्री और जनपद मैनपुरी के प्रभारी मंत्री नरेंद्र कश्यप ने मंगलवार को संभल की घटना और खाद के मुद्दे पर बयान दिया है।

नरेंद्र कश्यप ने मैनपुरी में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एक सवाल के जवाब में कहा कि मैनपुरी में सोमवार से हम हैं और हम गांव में भी गए हैं। हालांकि, किसानों से नहीं मिले हैं, लेकिन कोई मिलता है तो हम उससे हमेशा मिलते हैं। जहां भी डीएपी की समस्या होगी उसे हम दूर कराएंगे।

परसों हम शाहजहांपुर में थे, वहां के कुछ किसान हमसे मिले थे। कुछ किसानों ने हमसे शिकायत की थी कि हमको डीएपी नहीं मिली है। इसके बाद हमने जनपद के संबंधित अधिकारियों से बात करके कल ही खाद (डीएपी) की व्यवस्था कराई थी। यदि मैनपुरी में भी खाद की समस्या है तो हमें बताइए। हम उसको दूर कराएंगे।

संभल की घटना को नरेंद्र कश्यप ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था तीन ध्रुवों पर चलती है न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका। न्यायपालिका हमारे लोकतंत्र का सबसे सर्वोत्तम घटक है। यदि न्यायालय के निर्णय पर लोग आपत्ति करेंगे, लोग विरोध करेंगे या दंगा करने का प्रयास करेंगे, मैं समझता हूं कि यह भारतीय समाज के लिए एक चिंता की बात है।

संभल की जनता को न्यायालय का सम्मान करते हुए न्यायालय के निर्देश के क्रम में जो कार्रवाई आगे बढ़नी है, उसमें साथ देना चाहिए। संभल में जो हिंसा हुई है उसको स्वीकारा नहीं जा सकता है। हिंसा में कुछ लोगों की जानें भी गई हैं। पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं। आगजनी भी हुई है। हमारी सरकार चिंतित है कि ऐसी स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए, जहां पर किसी व्यक्ति को अपनी जान से हाथ धोना पड़े।

पुलिस हिंसा की जांच कर रही है। सरकार नजर बनाए हुए है। हम संभल की जनता से भी अपील करेंगे कि राजनीति के लिए या हार की हताशा को आप मौत में तब्दील मत करिए। राजनीतिक की लड़ाई अलग है और न्यायपालिका की लड़ाई अलग है। कुछ राजनीतिक पार्टी के लोग शायद गलत तरीके से वहां अपना व्यवहार कर रहे हैं, जिसके कारण यह स्थिति पैदा हुई है। इस हिंसा के लिए उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) को जिम्मेदार ठहराया है।

अखिलेश यादव के एक बयान पर उन्होंने कहा कि चर्चा करने से भाजपा सरकार क्यों बचेगी? जिस पार्टी ने नौ में से सात सीटें जीती हों वो तो खुशी से चर्चा करेगी ना। सपा ने केवल नौ में से दो सीटें जीती हैं। यदि करहल में दहशत का वातावरण पैदा नहीं किया जाता, दलित महिला की हत्या नहीं होती तो शायद हो सकता था यहां भी परिणाम कुछ और बदल सकते थे।

परिणाम बदलने का काम भाजपा सरकार क्यों करेगी। हम तो प्रसन्नता व्यक्त कर रहे हैं कि हमने नौ में से सात सीटें जीती हैं। दूसरी बार 37 साल के बाद यूपी में हमारी बहुमत की सरकार बनी है। 2027 में हम फिर से सत्ता में आएंगे।