भोपाल 18 अगस्त (आईएएनएस)। मुगल शासक औरंगजेब ने धोखे से छत्रपति शिवाजी को आगरा में बंधक बना लिया था, मगर शिवाजी सुरक्षा घेरे को भेदते हुए रायगढ़ पहुंचने में सफल हुए थे।
मध्य प्रदेश के मंदसौर स्थित श्री दशपुर प्राच्य शोध संस्थान के निदेशक व इतिहासकार कैलाश चंद्र पांडे का दावा है कि छत्रपति शिवाजी महाराज 25 दिन में आगरा से रायगढ़ पहुंचे थे। यह दावा उन्होंने अपने शोध के आधार पर किया है।
ऐतिहासिक तथ्य के अनुसार, छत्रपति शिवाजी के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना आगरा की भेंट और 99 दिन तक औरंगजेब द्वारा उन्हें कैद में रखा जाना है। शिवाजी को औरंगजेब ने धोखे से गिरफ्तार कर लिया था। शिवाजी ने कारागार की सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगाई और वहां से रायगढ़ पहुंच गए।
इतिहासकार सर जदुनाथ सरकार के बाद इतिहासकार और पुरातत्वविद कैलाश चंद्र पांडे ने शिवाजी के आगरा से रायगढ़ तक पहुंचने के तीसरे रास्ते को खोजा है। इतिहासकार पांडे के अनुसार, मुगल शासक औरंगजेब की कैद से फरार होने के बाद मात्र 25 दिन में ही शिवाजी रायगढ़ वापस पहुंच गए थे और उन्होंने जिस मार्ग का सहारा लिया था, उसे गरुड झेप मार्ग कहा गया है।
शिवाजी की इस 25 दिन की यात्रा पर पांडे ने शोध किया है। इसके लिए वे शेखावाटी स्थित गनेड़ी ग्राम के गनेड़ी वाला सेठों की पारिवारिक स्थिति की जानकारी जुटाने के लिए वहां पहुंचे। उन्होंने अपने शोध के दौरान पाया है कि शिवाजी के राज्य में सैनिक आपूर्ति के लिए जिस मार्ग का उपयोग किया जाता था। उसी मार्ग से अफीम व खसखस मेवाड़-मालवा क्षेत्र से दीव के चोडल बंदरगाह पहुंचती थी।
इतिहासकार पांडे के शोध के अनुसार, शिवाजी 19 अगस्त 1666 को औरंगजेब की कैद से आगरा से फरार हुए थे। उन दिनों एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र गनेड़ी हुआ करता था और गनेड़ी से होकर दो व्यापारिक मार्ग गुजरते थे। यहां के व्यापारी मायाराम मंसाराम गनेड़ी वाले नमक, अफीम और सिक्कों के व्यापारी थे।
शिवाजी जब आगरा से फरार हुए तो उनके गनेड़ी वाला सेठ की हवेली में तीन दिन ठहरने के पर्याप्त साक्ष्य मिलते हैं। यह सर जदुनाथ सरकार के तथ्यों से अलग है।
पांडे के शोध के मुताबिक, शिवाजी गनेड़ी से सीकर होकर दीव और वहां से समुद्री मार्ग से नाव द्वारा 25 दिनों में रायगढ़ पहुंचे। इतिहासकार पांडे ने अपने शोध में बताया है कि आगरा से मथुरा होते हुए गनेड़ी और वहां से सीकर होते हुए दीव की दूरी 1200 किलोमीटर होती है और दीव से समुद्री मार्ग द्वारा रायगढ़ 25 दिन में ही पहुंचना सिद्ध होता है।
शिवाजी की वसीयत को लेकर जो तथ्य सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि उनकी वसीयत में जो संपत्ति दर्ज थी। उसमें 100 बोरी खसखस और 100 बोरी अफीम शामिल है।