आर्मी, नेवी व एयरफोर्स का ‘त्रिशूल’ साइबर युद्ध जैसी योजनाओं का अभ्यास

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नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना, नौसेना व थलसेना का ‘त्रिशूल’ भविष्य की युद्ध तैयारी के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ है। त्रि-सेवा संयुक्त सैन्य अभ्यास (टीएसई-2025) ‘त्रिशूल’ का आयोजन नवंबर 2025 की शुरुआत में शुरू किया गया था। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को इस अभ्यास के संपन्न होने की जानकारी साझा की है।

भारतीय नौसेना द्वारा प्रमुख सेवा के रूप में भारतीय थल सेना और भारतीय वायुसेना के साथ यह अभ्यास संयुक्त रूप से किया गया है। इस अभ्यास के दौरान संयुक्त खुफिया, निगरानी व टोही प्रक्रियाओं, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और साइबर युद्ध योजनाओं को परखा गया। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस अभ्यास में भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर संचालन को भारतीय वायुसेना की भूमि-आधारित परिसंपत्तियों के साथ मिलकर अंजाम दिया गया। इस दौरान सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और संयुक्त एसओपी के आधार पर की गई कार्रवाई को बढ़ावा मिला।

टीएसई-2025 का नेतृत्व भारतीय नौसेना की पश्चिमी नौसेना कमान के साथ-साथ भारतीय सेना की दक्षिणी कमान और भारतीय वायु सेना की दक्षिण पश्चिमी वायु कमान ने किया। तीनों ही सेनाएं इसमें प्रमुख भागीदार थीं। वहीं, भारतीय तटरक्षक, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), और अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने भी इस महत्वपूर्ण अभ्यास में भाग लिया। इन सभी एजेंसियों की भागीदारी से इंटर-एजेंसी समन्वय और संयुक्त अभियानों की क्षमता को और मजबूती मिली है।

इस संयुक्त अभ्यास का प्रमुख उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना और मल्टी-डोमेन इंटीग्रेटेड ऑपरेशनल प्रोसीजर्स को जमीन पर उतारना था। ऐसा इसलिए किया गया ताकि संयुक्त प्रभाव-आधारित अभियान सुचारू रूप से संचालित किए जा सकें। इसके प्रमुख लक्ष्यों में विभिन्न प्लेटफॉर्मस और इन्फ्रास्ट्रक्चर की इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाना व तीनों सेवाओं के बीच नेटवर्क इंटीग्रेशन को मजबूत करना शामिल था। इसके अलावा, एक और बड़ा उद्देश्य तीनों सेनाओं की संयुक्तता को उन्नत करना था।

इस संयुक्त सैन्य अभ्यास ने स्वदेशी प्रणालियों के प्रभावी उपयोग तथा आत्मनिर्भर भारत की भावना को सुदृढ़ किया है। साथ ही, आधुनिक और भविष्य के युद्ध के बदलते स्वरूप तथा उभरते खतरों के अनुरूप रणनीतियों और तकनीकों के परिष्करण पर जोर दिया गया। इस अभ्यास में राजस्थान और गुजरात के खाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों और उत्तरी अरब सागर में जल-थलचर अभियान किए गए। इसके साथ ही समुद्री क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अभियान शामिल रहे। यहां भारतीय तटरक्षक बल, सीमा सुरक्षा बल और अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने भी इस अभ्यास में भाग लिया।

त्रिशूल अभ्यास में स्वदेशी प्रणालियों के प्रभावी उपयोग और आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांतों को आत्मसात करने पर जोर दिया गया। इसके अतिरिक्त, इसमें उभरते खतरों और समकालीन एवं भावी युद्धों के बदलते स्वरूप से निपटने के लिए प्रक्रियाओं और तकनीकों के परिशोधन पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। त्रि-सेवा अभ्यास 2025 के सफल आयोजन ने भारतीय सशस्त्र बलों के पूर्णत एकीकृत तरीके से कार्य करने के सामूहिक संकल्प को रेखांकित किया है। तीनों सेनाओं का मानना है कि इससे संयुक्त परिचालन तत्परता और राष्ट्रीय सुरक्षा की तैयारियों में वृद्धि होगी।