रांची, 12 नवंबर (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने गैंगस्टर अमन साव एनकाउंटर मामले में राज्य पुलिस को उसकी मां किरण देवी की ऑनलाइन एफआईआर रजिस्टर न करने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि तत्काल एफआईआर रजिस्टर करे और इस संबंध में अदालत में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।
इस मामले में जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने स्वतः संज्ञान और मृतक अमन साव की मां की ओर से एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। इस दौरान प्रार्थी किरण देवी ने अदालत को बताया कि वह पिछले सात महीनों से ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब तक पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
यह मामला कॉग्निजेबल ऑफेंस का है और सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूर्व में दिए गए दिशा-निर्देशों के तहत इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए थी। राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि गैंगस्टर अमन साव एनकाउंटर मामले में सीआईडी ने पहले से एक एफआईआर दर्ज की है और इसी के तहत मृतक के परिजनों की ओर से की गई ऑनलाइन शिकायत में उठाए गए बिंदुओं की भी जांच की जा रही है।
इस पर न्यायमूर्ति प्रसाद ने नाराजगी जताई और कहा कि ऐसी परिस्थिति में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए थी। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 28 नवंबर को तय की है। अमन साव की मां किरण देवी ने याचिका में 11 मार्च 2025 को पलामू में उसके बेटे अमन साव के एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है।
इस मामले में किरण देवी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, सीबीआई निदेशक, झारखंड के गृह सचिव, डीजीपी, एसएसपी रांची और एटीएस के कई अधिकारियों को प्रतिवादी बनाने का आग्रह किया है। आरोप है कि उनके बेटे को रायपुर सेंट्रल जेल से रांची में एनआईए कोर्ट में पेशी के लिए लाया जा रहा था, लेकिन इस दौरान पुलिस ने साजिश के तहत उसका ‘फर्जी एनकाउंटर’ कर दिया। उसने कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर में अमन साव को 75 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में झारखंड की चाईबासा जेल से रायपुर स्थानांतरित किया गया था, जबकि रायपुर से रांची लाते समय सिर्फ 12 सदस्यीय एटीएस टीम थी। इससे संदेह और गहराता है।

