नई दिल्ली, 12 नवंबर (आईएएनएस)। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत का वस्त्र और परिधान निर्यात मजबूत बना हुआ है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2025) में भारत ने 111 देशों को वस्त्र निर्यात में 10 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की। इन देशों से कुल 8,489.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई, जो पिछले साल की समान अवधि में 7,718.55 मिलियन डॉलर थी।
इससे 770.3 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त आय हुई।
कुल मिलाकर वस्त्र, परिधान और मेड-अप निर्यात में 0.1 फीसद की मामूली बढ़ोतरी हुई। हस्तशिल्प निर्यात को मिलाकर यह आंकड़ा और मजबूत दिखता है।
प्रमुख बाजारों में संयुक्त अरब अमीरात (14.5 फीसद), ब्रिटेन (1.5 फीसद), जापान (19.0 फीसद), जर्मनी (2.9 फीसद), स्पेन (9.0 फीसद) और फ्रांस (9.2 फीसद) ने अच्छी वृद्धि दिखाई। वहीं, मिस्र (27 फीसद), सऊदी अरब (12.5 फीसद) और हांगकांग (69 फीसद) जैसे बाजारों में तेज उछाल दर्ज हुआ।
इस बढ़ोतरी के पीछे मुख्य योगदान रेडीमेड गारमेंट्स (3.42 फीसद) और जूट उत्पादों (5.56 फीसद) का रहा। आंकड़े बताते हैं कि वैश्विक मंदी और टैरिफ बाधाओं के बावजूद भारतीय वस्त्र उद्योग लचीला और प्रतिस्पर्धी है।
सरकार की “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” योजनाओं ने निर्यात को नई दिशा दी है। गैर-पारंपरिक बाजारों में विस्तार से भारत अब सिर्फ बड़े देशों पर निर्भर नहीं है। छोटे-बड़े 111 बाजारों तक पहुंच बनाकर विविधता और स्थिरता हासिल की गई है।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, यह सफलता मूल्य संवर्धन, गुणवत्ता सुधार और नए बाजारों की खोज का नतीजा है। उद्योग जगत का कहना है कि भारतीय कपड़ा कंपनियां अब डिजाइन, ब्रांडिंग और टिकाऊ उत्पादों पर जोर दे रही हैं, जिससे विदेशी खरीदार आकर्षित हो रहे हैं।
हालांकि कुछ बड़े बाजारों जैसे अमेरिका में चुनौतियां बरकरार हैं। लेकिन, कुल मिलाकर निर्यात का ग्राफ ऊपर जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में त्योहारी सीजन और नए व्यापार समझौतों से और तेजी आएगी।
यह प्रदर्शन न सिर्फ अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है, बल्कि लाखों कारीगरों और श्रमिकों को रोजगार भी दे रहा है। भारत अब वैश्विक वस्त्र बाजार में एक भरोसेमंद नाम बनता जा रहा है।

