हैदराबाद, 24 सितंबर (आईएएनएस)। शहर की एक अदालत ने मंगलवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को 16 अक्टूबर को कैश-फॉर-वोट मामले की सुनवाई में शामिल होने का आदेश दिया।
नामपल्ली मेट्रोपॉलिटन क्रिमिनल कोर्ट ने रेवंत रेड्डी सहित सभी आरोपियों को सुनवाई में उपस्थित होने का आदेश दिया।
2015 के कैश-फॉर-वोट मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मथैया जेरूसलम को छोड़कर आरोपियों की अनुपस्थिति पर कड़ा संज्ञान लिया था।
रेवंत रेड्डी, उदय सिम्हा, वेम कृष्ण कीर्तन और वेंकट वीरैया सुनवाई में शामिल नहीं हुए।
उनके वकीलों ने उस दिन के लिए सुनवाई से छूट मांगी।
अदालत ने अनुरोध स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि सभी आरोपी 16 अक्टूबर को अगली सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहें।
यह घटनाक्रम सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कुछ नेताओं द्वारा दायर याचिका को खारिज करने के चार दिन बाद हुआ। इसमें मामले की सुनवाई तेलंगाना से बाहर की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर को मुकदमे को भोपाल स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया था।
रेवंत रेड्डी के वकील ने अदालत को बताया था कि बीआरएस नेताओं ने ‘राजनीति के उद्देश्य’ से याचिका दायर की है।
हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने रेवंत रेड्डी को मामले में अभियोजन पक्ष के कामकाज में किसी भी तरह से हस्तक्षेप न करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने आदेश दिया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक मामले के अभियोजन के बारे में तेलंगाना के मुख्यमंत्री को रिपोर्ट नहीं करेंगे।
मामला 31 मई, 2015 का है, जब तत्कालीन तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के विधायक रेवंत रेड्डी को तेलंगाना भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गिरफ्तार किया था, जब वे अगले दिन होने वाले एमएलसी (विधान परिषद सदस्य) चुनाव में टीडीपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने के बदले में मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को रिश्वत देने की कोशिश कर रहे थे।
एसीबी की वीडियो रिकॉर्डिंग में कथित तौर पर रेवंत और उनके दो सहयोगियों को स्टीफेंसन को 50 लाख रुपये की पेशकश करते हुए दिखाया गया था, जब पुलिस अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पहुंचे थे।
रेवंत रेड्डी को 1 जुलाई 2015 को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी।
हालांकि, रेवंत रेड्डी ने इस बात से इनकार किया कि वह मनोनीत विधायक को रिश्वत देने की कोशिश कर रहे थे।
उन्होंने दावा किया कि विधायक ने उन्हें एक व्यापारिक सौदे पर चर्चा करने के लिए अपने घर बुलाया था।
एसीबी ने रेवंत रेड्डी और अन्य आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के लिए आरोप पत्र दायर किया था।
2017 में रेवंत रेड्डी टीडीपी छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।