कोलकाता, 12 नवंबर (आईएएनएस)। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के दौरान, पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ दायर अपनी याचिका में मौजूदा पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर दो मुख्य सवाल उठाएगी।
टीएमसी सांसद और कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने बुधवार को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि 2002 की मतदाता सूची को वर्तमान प्रक्रिया के आधार के रूप में स्वीकार करने को लेकर आयोग का निर्णय स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि 2008 में पूरी हुई परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा के लेआउट में बड़ा बदलाव आया है और विधानसभा क्षेत्रों में बदलाव आया है।
कल्याण बनर्जी ने कहा कि 2002 में जब पिछली एसआईआर हुई थी, कई निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन के बाद अस्तित्व में नहीं रहे। इसी तरह, परिसीमन के बाद, कुछ नए निर्वाचन क्षेत्र बने जो पहले अस्तित्व में नहीं थे। तो फिर वे गैर-मौजूद विधानसभा क्षेत्र वर्तमान संशोधन प्रक्रिया का आधार कैसे हो सकते हैं? सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई के दौरान यही हमारा पहला तर्क होगा।
टीएमसी द्वारा उठाया जाने वाला दूसरा मुद्दा यह होगा कि आयोग राज्य में कुछ मतदाताओं के नाम कैसे हटा सकता है या उन्हें नए सिरे से आवेदन करने के लिए कैसे कह सकता है, जबकि वे 2024 के लोकसभा चुनावों में पहले ही मतदान कर चुके हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में तृणमूल कांग्रेस की मुख्य मांग एसआईआर प्रक्रिया पर रोक लगाने की है।
यह पूछे जाने पर कि क्या न्यायालय भारत निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्था के निर्णय पर रोक लगा सकती है, कल्याण बनर्जी ने कहा कि कम से कम सर्वोच्च न्यायालय वर्तमान संशोधन प्रक्रिया में परिवर्तन के संबंध में मूल्यवान मार्गदर्शन दे सकता है।
इस बीच, राज्य में गणना प्रपत्रों के वितरण की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 14 नवंबर की नई समय सीमा तय की गई थी। 11 नवंबर की पूर्व निर्धारित समय सीमा मंगलवार को ही समाप्त हो चुकी थी, और लगभग 15 प्रतिशत मतदाताओं के लिए गणना प्रपत्रों का वितरण अभी भी पूरा नहीं हुआ है।

