थोक महंगाई दर आने वाले समय में एक सीमित दायरे में रह सकती है : एनालिस्ट

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    नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। अक्टूबर में थोक महंगाई दर के आंकड़े नकारात्मक रहने पर इंडस्ट्री बॉडी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें कम होने के कारण थोक महंगाई दर आने वाले समय में एक सीमित दायरे में रह सकती है।

    पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के सीईओ और महासचिव डॉ. रंजीत मेहता ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमजोरी, खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर स्टॉक और अच्छी खरीफ फसल के कारण थोक महंगाई दर आने वाले समय में सीमित दायरे में रहेगी।”

    सरकारी क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने अनुमान में कहा है कि अगर 43 दिनों के शटडाउन के बाद अमेरिकी सरकार के फिर से खुलने के बाद मांग में सुधार होता है, तो अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों और तेल की कीमतों में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है।

    बैंक ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति में अपेक्षा से अधिक सरप्लस भी आगे चलकर तेल की कीमतों पर दबाव डाल सकता है। इससे आने वाले महीनों में ईंधन में महंगाई कम रह सकती है।

    भारत में थोक मुद्रास्फीति दर या महंगाई दर अक्टूबर में कम होकर -1.21 प्रतिशत हो गई है, जो कि सितंबर में 0.13 प्रतिशत थी। वहीं, अक्टूबर 2024 में 2.8 प्रतिशत थी।

    पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष राजीव जुनेजा ने कहा कि यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, बिजली, खनिज तेलों और बेसिक मेटल की मैन्युफैक्चरिंग आदि की कीमतों में कमी के कारण हुई।

    मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों में थोक महंगाई दर अक्टूबर में -0.07 प्रतिशत रही है। इसकी 22 श्रेणियों में से सात में कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जिनमें केमिलकल, बेसिक मेटल और मोटर वाहन शामिल हैं। वहीं, कपड़ा, खाद्य उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक्स और विद्युत उपकरण जैसी 11 श्रेणियों में कीमतों में वृद्धि हुई। चार श्रेणियों में कोई बदलाव नहीं हुआ।

    अक्टूबर में थोक महंगाई दर के नकारात्मक जोन में रहने की वजह खाद्य उत्पादों, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, इलेक्ट्रिसिटी और मिनरल ऑयल एवं अन्य की कीमतों में कमी आना है।

    बीते महीने खाद्य उत्पादों में थोक महंगाई दर -5.04 प्रतिशत रही है, जो कि सितंबर में -1.99 प्रतिशत थी। यह दिखाता है कि थोक उत्पादों की कीमतें पिछले साल के मुकाबले घटी हैं।

    -आईएएनएस

    एबीएस/