तुमकुर, 14 नवंबर (आईएएनएस)। एशिया के सबसे बड़े नारियल बाजारों में अपनी खास जगह बनाने वाला टिपटूर नारियल (टिपटूर खोपरा) अब जल्द ही भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग हासिल कर सकता है। लंबे समय से यहां के किसान इसकी मांग कर रहे थे और अब उम्मीदें पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गई हैं।
टिपटूर खोपरा अपनी बेहतर गुणवत्ता, तेल की अधिक मात्रा और अंतरराष्ट्रीय मांग के लिए जाना जाता है। देश और विदेश में इसकी लगातार बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए किसान चाहते थे कि इसे जीआई मान्यता मिले ताकि इसकी मौलिकता और पहचान सुरक्षित रह सके।
कई सालों से इस मुद्दे पर चर्चा चल रही थी, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही थी। अब आखिरकार मामला रफ्तार पकड़ चुका है।
टिपटूर एपीएमसी में बागवानी विभाग और एपीएमसी अधिकारियों की बैठक आयोजित हुई, जिसमें महत्वपूर्ण फैसला लिया गया कि टिपटूर फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) और कोकोनट एफपीओ जीआई टैग के लिए आधिकारिक आवेदक होंगे।
बागवानी विभाग ने वित्तीय सहायता देने का आश्वासन दिया है और एपीएमसी ने पूर्ण सहयोग का वादा किया है।
जीआई प्रक्रिया के लिए अब तेजी से काम किया जा रहा है। अधिकारियों का अनुमान है कि अगले दो वर्षों के भीतर टिपटूर खोपरा को जीआई टैग मिल सकता है।
इसके लिए कॉप्रा के सैंपल की गुणवत्ता जांच और उत्पाद क्षेत्र की वैज्ञानिक सीमाओं की पहचान जरूरी है।
अब तक की समीक्षा के अनुसार, टिपटूर, गुब्बी, चिकनायकनहल्ली, चन्नारायपट्टन, अरसीकेरे और होसदुर्गा जैसे तालुकों को जीआई क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है।
जीआई टैग मिलने के बाद टिपटूर खोपरा की नकली बिक्री पर रोक लगेगी। किसानों को बेहतर बाजार मूल्य मिलेगा। नारियल प्रसंस्करण की स्थानीय परंपराओं को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उपभोक्ताओं को असली, प्रमाणित उत्पाद मिलेंगे।
यह कदम नारियल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा और उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाएगा।
बागवानी विभाग (तुमकुर) के उपनिदेशक शारदम्मा ने कहा, “तुमकुर जिले में एफपीओ ने नारियल और इसके उत्पादों के लिए जीआई टैग की पहल की है। वे रमैया इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स की मदद से दस्तावेज तैयार कर रहे हैं और आवेदन भर रहे हैं। पहले नारियल और उसके उत्पादों को एक साथ फाइल किया था, लेकिन जीआई इंडस्ट्री ने सुझाव दिया कि इन्हें अलग-अलग फाइल किया जाए। इसलिए अब अलग से ‘टिपटूर कोकोनट’ के लिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है।”
उन्होंने कहा, “हमारे जिले में लगभग 1,76,000 हेक्टेयर क्षेत्र में नारियल की खेती होती है। खासकर टिपटूर, गुब्बी, चित्रदुर्ग, तुमकुर, कुनडलु आदि क्षेत्र नारियल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां की मिट्टी और मौसम की स्थिति अलग है, जिससे नारियल की गुणवत्ता बेहतरीन बनती है। कॉयर कंटेंट भी अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर होता है।”
जीआई टैग के फायदों पर उन्होंने कहा, “जीआई प्रमाण मिलने से किसानों का निर्यात मूल्य बढ़ेगा। बाजार में जो लोग टिपटूर नाम का गलत इस्तेमाल करते हैं, वह रुक जाएगा। असली किसानों को इसका पूरा लाभ मिलेगा। यह हमारे तुमकुर और टिपटूर के किसानों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।”

