
डॉ. कपिल कुमार भार्गव
स्वामी विवेकानंद भारत के सबसे बड़े महापुरुष और धर्म गुरु हैं उन्होंने हमारी संस्कृति और हिंदू धर्म को पश्चिमी देशों को परिचित कराया आज पूरा विश्व योग दिवस मनाता है और योग को अपनी पहली प्राथमिकता के तौर पर करता है इस योग्य को परिचित भी स्वामी विवेकानंद ने ही पश्चिमी देशों को कराया स्वामी विवेकानंद युवाओं के नेता और मार्गदर्शक थे.
उन्होंने देश की संस्कृति और देश के विकास के लिए अहम कदम उठाये और कार्य किए। स्वामी विवेकानंद हमारे देश की संस्कृति और वेदांत और आध्यात्मिक के महान ग्रुप है उन्होंने हमारे वेदांत और आध्यात्मिक ज्ञान को पश्चिमी देशों को परिचित कराया।
आज पूरा विश्व संस्कृति और हिंदू धर्म के वेदों और योग के मूल्य को जानता है और उन मूल्यों को पूरे विश्व में लाने का श्रेय स्वामी विवेकानंद को जाता है स्वामी विवेकानंद जी हमारे संस्कृति के प्रचार के लिए पूरे विश्व भर का भ्रमण किया और लोगों को हमारे संस्कृति का परिचय कराया।
19 वीं सदी के अंत में हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार और लोगों के आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास और चेतना को जगाने के लिए स्वामी विवेकानंद ने बहुत ही कार्य किए उन्होंने लोगों को जागरूक किया आज पूरा विश्व हिंदू धर्म और इसके रीति रिवाज को जानते हैं।
स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ की स्थापना की जो आज भी कार्य कर रही है इस मठ में आज भी हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार किया जाता है आज भी मठ समाज कल्याण में जुड़े हुए हैं। स्वामी विवेकानंद ने मठ का नाम अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रखा.
स्वामी विवेकानंद युवाओं के रोल मॉडल हैं। युवाओं को आगे बढ़ने और युवाओं को अपने आत्मविश्वास के बल से परिचय कराया। स्वामी विवेकानंद ने हमारे युवाओं को राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाया और इसी के सहारे उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मुहिम भी चलाएं। उन्होंने हमारे देश के लोगों को एक किया और अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ खड़ा किया।
स्वामी विवेकानंद और नैतिक मूल्य
स्वामी विवेकानंद जी ने हिंदू धर्म, अध्यात्म और वेदांत दर्शन का प्रसार पुरे विश्व में किया। उन्होंने समाज के सेवा कार्य के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। उनके विचार देश और समाज के लिए इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि उन्होंने देश और समाज को नई और विकासशील दिशा की ओर अग्रसर करने में अहम योगदान दिया था। हिंदू धर्म औऱ आध्यात्म की आधुनिक और प्रेरणादायी व्याख्या करने में स्वामी विवेकानंद का अहम योगदान है।
आइए हम उनके नैतिकमूल्यों से जुड़े विचारों को जानते हैं
1. उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।
2. पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
3. आपको अंदर से बाहर की ओर विकसित होना है। कोई तुम्हें पढ़ा नहीं सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता, तुम्हारी आत्मा के अतिरिक्त कोई और गुरु नहीं है।
4. सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
5. ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।
6. विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
7. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।
8. किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
9. एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
10. जब तक जीना, तब तक सीखना – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।
11. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
12. जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।
13. हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं। विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।
14. कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो। जो देना है वो दो, वो तुम तक वापस आएगा, पर उसके बारे में अभी मत सोचो।
15. सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यह है- वह पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता। पूर्ण रूप से निःस्वार्थ व्यक्ति, सबसे सफल हैं।
16. जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो–उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो। सत्य की ज्योति ‘बुद्धिमान’ मनुष्यों के लिए यदि अत्यधिक मात्रा में प्रखर प्रतीत होती है, और उन्हें बहा ले जाती है, तो ले जाने दो; वे जितना शीघ्र बह जाएँ उतना अच्छा ही हैं।
महत्त्वाकांक्षा
1. जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो।
2. तुम फ़ुटबाल के जरिये स्वर्ग के ज्यादा निकट होगे बजाये गीता का अध्ययन करने के।
3. किसी की निंदा ना करें। अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
4. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।
5. दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।
6. चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो।
7. खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं।
8. जो किस्मत पर भरोसा करते हैं वो कायर हैं, जो अपनी किस्मत खुद बनाते हैं वो मजबूत हैं।
सामाजिक आर्थिक स्तर
1. हम जितना ज्यादा बाहर जाए और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें वास करेंगे।
2. जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे।
3. एक विचार लो। उस विचार को अपना जीवन बना लो – उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो, उस विचार को जियो। अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो, और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो। यही सफल होने का तरीका हैं।
4. जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।
5. बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप हैं।
6. यही दुनिया है; यदि तुम किसी का उपकार करो, तो लोग उसे कोई महत्व नहीं देंगे, किन्तु ज्यों ही तुम उस कार्य को बंद कर दो, वे तुरन्त तुम्हें बदमाश प्रमाणित करने में नहीं हिचकिचायेंगे। मेरे जैसे भावुक व्यक्ति अपने सगे – स्नेहियों द्वारा ठगे जाते हैं।
7. अपने इरादों को मजबूत रखो, लोग जो कहते हैं उन्हें कहने दो, एक दिन वही लोग तुम्हारा गुणगान करेंगे।
8. वेदान्त कोई पाप नहीं जानता, वो केवल त्रुटी जानता हैं। और वेदान्त कहता है कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है कि तुम कमजोर हो, तुम पापी हो, एक तुच्छ प्राणी हो, और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है और तुम ये-वो नहीं कर सकते।
9. क्या तुम नहीं अनुभव करते कि दूसरों के ऊपर निर्भर रहना बुद्धिमानी नहीं हैं। बुद्धिमान् व्यक्ति को अपने ही पैरों पर दृढता पूर्वक खड़ा होकर कार्य करना चहिए। धीरे धीरे सब कुछ ठीक हो जाएगा।
10. हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं।
उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं की स्वामी विवेकानंद ने जीवन के प्रत्येक पहलू पर अपनी अनुसंधानात्मक दृष्टि को रखा है तथा समाज को एक नवीन दसा और दिशा प्रदान की। आज विश्व के प्रत्येक मानव को विवेकानंद के मार्ग पर चलने की आवश्यकता है इसी में समस्त विश्व का कल्याण निहित है।