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चिट्ठी : प्रधानमंत्री जी आप ही कर सकते हैं कोरोना को काबू में

May
06 2020

खरीन्यूज़ की सम्पादक रानी शर्मा का प्रधानमंत्री के नाम पत्र 

आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी सादर प्रणाम।

देश को आपके जैसा लोकप्रिय प्रधानमंत्री शायद पहली बार मिला है, जिसकी एक आवाज पर पूरा देश एकजुट हो जाता है और जो आप कहते हैं, वह करना शुरू कर देता है। मैं इस मामले में आपकी प्रशंसा करूंगी कि लोगों को जोड़ना आपको बहुत अच्छी तरह आता है। शायद ही दुनिया के किसी देश में वहां के प्रधानमंत्री इतने लोकप्रिय रहे होंगे, जितना आप हैं।

प्रधानमंत्री जी जब आपने 24 मार्च की रात 12 बजे से देश में लॉक डाउन लगाया था, तब देश का हर नागरिक आपकी कहीं बात के अनुसार अपने घर तक सिमट गया था. आपने बहुत अच्छी तरह एक बात समझाई थी कि कोरोना का कोई इलाज नहीं है, सिर्फ एक ही इलाज है सोशल डिस्टेंसिंग। आपकी कही बात को लोगों ने जेहन में बिठा लिया था और बड़े पैमाने पर देश की जनता धैर्य के साथ आपके कहे अनुसार 'जो जहां है वहीं रुक जाए' और जनता रुक गई।

इस दौरान देश में कोरोना के कारण पहली बार ऐसा हुआ है कि मात्र 4 घंटे का नोटिस होने के कारण, जो जहां था वही फंस गया। देश के लाखों मजदूर जहां काम कर रहे थे, वहीँ रहने को मजबूर थे क्योंकि ट्रेन बंद होने के कारण उनका अपने घर जाना संभव नहीं था. अगर आपने 2-3 दिन का समय दिया होता तो संभव था कि ज्यादातर मजदूर शहरों से वापस अपने गॉव पहुँच जाते। तब पिछले 43 दिन में देश के मजदूरों को जिन असहनीय परेशानियों का सामना करना पड़ा वो शायद नहीं करना पड़ता और कई जो सड़कों पर भूख-प्यास से मर गए उनकी जान शायद बच जाती। इस करोना काल में सबसे ज्यादा अगर कोई परेशान हुआ है, तो वो है देश का मजदूर, डॉक्टर, नर्स और पुलिस कर्मी।

प्रधानमंत्री जी आपको याद होगा कि आपने देश के हर व्यक्ति के लिए बैंक अकाउंट खुलवाने की व्यवस्था की थी, आपके पास इस देश के हर नागरिक का बायोडाटा मौजूद है कि कौन कितना कमाता है. कितना टैक्स भरता है, देश के हर व्यक्ति के अकाउंट पर आपकी नजर रहती है। आज तक कोई भी सरकार इतनी पैनी नजर देश के नागरिकों के अकॉउंट पर नहीं रख पाई होगी, जितनी आपकी सरकार ने रखने की व्यवस्था की है। वही किस शहर में कितने प्रवासी मजदूर रहकर काम कर रहे हैं, यह सारी जानकारी आपके जिलों के प्रशासन के पास उपलब्ध रहती है। क्या यह संभव नहीं था कि देश के इन मजदूरों के खाते में जब तक कोरोना काल के कारण एक ही जगह पर रुकना जरूरी था, तब तक के लिए सरकार द्वारा उतनी राशि उनके खाते में डाल दी जाती, जितना उनको वेतन मिलता है, तो उनकी रहने खाने की उचित व्यवस्था हो जाती। इसके लिए अगर आप देश की जनता से भी आग्रह करते तो जनता भी जिसकी जितनी सामर्थ थी जरूर अपने पास से राशि दान देती। वैसे भी देश में बड़े पैमाने पर लोग अपने पास से गरीबों को - मजदूरों को भोजन सामग्री वितरित कर ही रहे हैं, लेकिन आपने इस दिशा में विचार नहीं किया।

देश में 3000 करोड़ रुपये एक मूर्ति बनाने पर खर्च किया जा सकता है, 100 करोड़ रुपए किसी देश के प्रधानमंत्री के हमारे देश में आने पर खर्च किया जा सकता है, लाखों रुपए अयोध्या में दिए जलाने पर खर्च किए जा सकते हैं, आपकी नागरिकता साबित करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने की योजना थी, तब शायद धन का संकट तो इतना नहीं था। देश का मजदूर जो अपनी सारी जिंदगी देश के लिए दे देता है, क्या ऐसे विकट समय में इस देश को उसका ख्याल नहीं रखना चाहिए था ? सरकार ने मजदूरों के भूख परेशानियों से बेहाल होने के कारण उनको उनके गांव में पहुंचाने के लिए विशेष ट्रैन चलाने की छूट दे दे दी है। अब इस पर भी राजनीति शुरू हो गई है. बहुत शर्म की बात है कि अपना वोट बैंक बनाये रखने के लिए हर राजनितिक दल उनका शहर से गांव तक का किराया देने को तैयार है। कोई भी सच नहीं बोल रहा कि इससे सबकी जान को खतरा ही बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री जी जब आपने कोरोना का एक ही इलाज बताया था "जो जहां है कुछ समय कोरोना नियंत्रण होने तक वहीं ठहरा रहे" फिर एक शहर से दूसरे शहर तक लाखों मजदूर जब जाएंगे तब क्या कोरोना का संक्रमण नहीं फैलेगा ? इन मजदूरों के पास न रोजगार है, ना पैसा है, बेरोजगार खाली हाथ है। वहीँ इस दौर में उनके गांव पहुंचने पर कोई उनको उनके घरों में भी नहीं घुसने दे रहा है. लोगों में भय है कि इन मजदूरों को कोरोना हो सकता है, क्योंकि हाल ही में कई लोगों में कोरोना के कोई लक्षण नहीं होने के बाद भी जाँच में कोरोना पॉजिटिव आया है। ऐसे में कोरोना को बड़े पैमाने पर फैलाने की व्यवस्था सरकार कर रही है।

अभी तक कोरोना सिर्फ शहरों तक सीमित था, जिसे गांव तक पहुंचाने की व्यवस्था इस तरह की जा रही है, इसकी सिर्फ एक ही वजह है कि आपकी सरकार मजदूरों के प्रति असंवेदनशील है. मजदूरों के शहर में रहने पर उनकी भुखमरी- बदहाली की खबरें मीडिया में लगातार आ रही थी, ऐसे में उनको उनके गांव में छोड़ देने से आपकी सरकार सारी जिम्मेदारियों से आसानी से बच जाएगी। गांव में मजदूर भूख से मरेगा या कोरोना संक्रमण से मरेगा, इसकी खबरें आसानी से मीडिया के द्वारा देश दुनिया तक पहुंचना संभव नहीं होगी। हाल ही में जो मजदूर अपने गांव तक पहुंचे हैं, उनके साथ गांव में हो रहे अपमान अन्याय की कुछ खबरें मीडिया के द्वारा सामने आने भी लगी हैं, लेकिन सभी समाचार सामने आना संभव नहीं है। क्या हमारे प्यारे देश का मजदूर ऐसी ही जिंदगी जीने का अधिकारी है कि जब उसे हमारी जरूरत है, तब हम उसकी ओर से मुंह मोड़ ले। मेरे आदरणीय प्रधानमंत्री जी ऐसे समय में आप चाहते तो देश के यह मजदूर शहरों में सम्मान के साथ दो-तीन महीने गुजार सकते थे. इनके "जो जहां है वहीं रुकने से" कम से कम देश में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा नहीं बढ़ता।

प्रधानमंत्री जी कोरोना महामारी में अगर देश की जनता ही सुरक्षित नहीं बचेगी, तब राजनीति किसके लिए और किसके साथ करेंगे, ऐसे दौर में सिर्फ मानवता की बात की जानी चाहिए थी। राजनीति की बात कोरोना संक्रमण से देश के बाहर निकल आने के बाद भी की जा सकती थी, लेकिन ऐसा लगता है इस देश की सरकार जनता की मौत से व्यथित नहीं हो रही है, क्योंकि ऐसे हालात नजर नहीं आ रहे हैं। देश में दो लॉकडाउन के बाद भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे है। करीब 50 हजार लोग कोरोना पॉजिटिव और 1700 लोगों की मौत कोरोना से होने के सरकारी आंकड़े सामने आ चुके है. मुझे लगता है कि देश में ठीक तरह से अभी भी कोराना की जांच नहीं हो रही, अगर होती तो संभव था कि ये आंकड़े और ज्यादा होते।

आदरणीय मोदीजी आखिरकार कोरोना नियंत्रण नहीं होने के कारण ही सरकार ने तीसरा लॉकडाउन शुरू किया है न. इसके बावजूद तीसरा लॉक डाउन शुरू होने के साथ ही देश में शराब- भांग की दुकान खोलने के निर्णय से यह साबित हो रहा है कि सरकार को जनता से बस टैक्स की वसूली करना और उसे नशे में डूबे रहने का आदी बनाना आता है. क्या शराब बेचने से ही ये देश चल सकता है? अगर ऐसा ही है तो सरकार को शराब पीने से रोकने के लिए चलाये जाने वाले नशामुक्ति कार्यक्रम चलाने का नाटक बंद कर देना चाहिए।

क्या शराब-भांग खरीदने के लिए लोग सुबह 7 बजे से शाम के 7 बजे तक सड़कों पर निकलेंगे, तब कोरोना संक्रमण नहीं फैलेगा? हाल ही में 2 दिन पहले देश के अलग अलग हिस्सों में खोली गई शराब की दुकानों पर उमड़ी भीड़ से क्या लॉकडाउन का पालन हो पा रहा है? देश में लॉक डाउन को सरकार ने मजाक बना कर नहीं रख दिया है? एक ओर आप कहते हैं घरों में रहो, सोशल डिस्टेंसिग रखिये, वहीँ दूसरी ओर शराब-भांग की दुकानें खोले जाने की छूट दे दी है ताकि लोग शराब पीकर और भांग खाकर नशे में पड़े रहें। क्या यही आपका आदर्श लॉक डाउन है ? क्या यही सोशल डिस्टेंसिंग है ?

लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी मजदूरों और छात्रों को गांव-घर में भेजने और शराब की दुकानें खोलने के सबसे आलोचनात्मक कार्य किये है आपने, जिसके दूरगामी परिणाम बहुत भयानक हो सकते हैं. आने वाले 1-2 महीने में देश में आज जितने कोरोना के मरीज हैं, उससे कई गुना मरीज बढ़ सकते हैं। अभी 1700 मौतें देश में हुई हैं यह आंकड़ा 17000 में बदलते में देर नहीं लगेगी। प्रधानमंत्री जी इस देश की 130 करोड़ जनता में से कम से कम 100 करोड़ जनता तो आपको भगवान की तरह ही पूजती है। यह बात हाल ही में आपके द्वारा जनता को ताली -थाली बजाने और दिए जलाने का आग्रह करने पर साबित हो चुकी है।

प्रधानमंत्री जी मुझे विज्ञान का भी अच्छा खासा ज्ञान है. आपके देश में ही मैंने रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है। मैं भी जानती हूं कि कोरोना संक्रमण रोकने में काफी समय लगने वाला है लेकिन इस संक्रमण को सोशल डिस्टेंसिंग द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है। आपने भी यही बात समझाई है, देश के हित में और अपनी जान बचाने के लिए लोग आज भी घरों तक सीमित है। हमारे देश के डॉक्टर -नर्स और पुलिस प्रशासन अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना से लड़ रहा है, कई की मौत भी इस लड़ाई में हो गई हैं।

प्रधानमंत्री जी अभी भी वक्त है कि इस तीसरे लॉक डाउन में आप स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए कठोर कदम उठाए, "जो जहां है उसे वहीं रहने के लिए कहें" मजदूरों को उनके खाते में कुछ राशि भोजन पानी के लिए दी जाए और उनसे आग्रह किया जाए कि वह जहां रह रहे हैं वही अगर एक दो महीने रुकेंगे तो यह उनकी जान के लिए और देश के लिए बेहतर होगा। आप विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को निर्देश दीजिए कि वह ऐसे समय में मजदूरों को- छात्रों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के अभियान पर कुछ समय के लिए रोक लगाएं क्योंकि यह देश के हर नागरिक के हित में है। शराब-भांग की दुकानों को तत्काल बंद करवाया जाए, इनके खुलने से पुलिस को व्यवस्था सँभालने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, हम नागरिकों की डेढ़ महीने की मेहनत बर्बाद मत होने दीजिए। देश की एक नागरिक होने के नाते मुझे आपसे बहुत उम्मीद है, इस विषय में गंभीरता से विचार करके तत्काल निर्णय लेंगे ताकि हमारे देश के लाखों लोगों की जान बचाई जा सके.
धन्यवाद

रानी शर्मा

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रानी शर्मा

लेखिका www.kharinews.com की सम्पादक हैं.

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