ऑस्ट्रेलिया में पहली बार डिमेंशिया बना मौत का प्रमुख कारण

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कैनबरा, 14 नवंबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलिया में शुक्रवार को चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए गए। इन आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024 में डिमेंशिया ऑस्ट्रेलिया में मौत का प्रमुख कारण बना और पहली बार ही ये देश की सबसे बड़ी जानलेवा बीमारी भी साबित हुआ।

ऑस्ट्रेलियाई सांख्यिकी ब्यूरो (एबीएस) के आंकड़ों से पता चला है कि पिछले साल अल्जाइमर सहित डिमेंशिया ने इस्केमिक हृदय रोग (ऐसी स्थिति जिसमें हृदय को पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता) को पीछे छोड़ते हुए देश में मौत का प्रमुख कारण बना।

एबीएस ने कहा कि 2024 में ऑस्ट्रेलिया में दर्ज 187,268 मौतों में से 17,549 मौतें डिमेंशिया के कारण हुईं।

डिमेंशिया से होने वाली मौतों की संख्या 2006 में 6,550 से 160 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गई है, जबकि हृदय रोगों से होने वाली मौतों की संख्या इसी अवधि में 29.6 प्रतिशत घटी। 2024 में 16,275 हो गई जबकि 2006 में ये 23,132 थी।

एबीएस ने डिमेंशिया के बढ़ते मामलों के लिए ऑस्ट्रेलिया की बढ़ती उम्र को मौत का एक बड़ा कारण बताया है। ब्यूरो ने कहा कि 2024 में कुल मौतों में से 68.2 प्रतिशत 75 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की हुई, जो 2004 में 63.3 प्रतिशत थी।

सिन्हुआ ने एबीएस की मृत्यु दर सांख्यिकी प्रमुख लॉरेन मोरन के हवाले से बताया, “अब लोगों के उस उम्र तक जीने की संभावना ज्यादा है जहां उन्हें डिमेंशिया होने का ज्यादा खतरा होता है। यह खासतौर पर उन महिलाओं के लिए सच है जिनकी जीवन प्रत्याशा लंबी होती है। आज के आंकड़े बताते हैं कि डिमेंशिया से मरने वालों में 62.4 प्रतिशत महिलाएं थीं।”

2016 से ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं की मृत्यु का प्रमुख कारण डिमेंशिया रहा है। हालांकि, कोरोनरी हृदय रोग पुरुषों की मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है, जिससे 2024 में 10,153 मौतें हुईं।

ऑस्ट्रेलियाई स्वास्थ्य एवं कल्याण संस्थान ने सितंबर में जारी एक रिपोर्ट में बताया था कि डिमेंशिया से पीड़ित ऑस्ट्रेलियाई लोगों की संख्या 2024 में 425,000 से बढ़कर 2065 तक दस लाख से ज्यादा हो सकती है।

2024 में क्रोनिक लोअर रेस्पिरेटरी डिजीज मृत्यु का तीसरा सबसे आम कारण रही, इसके बाद सेरेब्रोवास्कुलर डिजीज (मस्तिष्कवाहिकीय रोग) और लंग कैंसर का स्थान होगा।

एबीएस ने कहा कि 2024 में नशीली दवाओं और शराब से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है और 3,307 लोगों ने आत्महत्या की।