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महिला एथलीटों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए डब्ल्यूएफआई का विवाद एक सबब

Jan
29 2023

नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। एक अभूतपूर्व कदम में बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और अन्य सहित भारत के शीर्ष पहलवानों ने 18 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी में जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह और महासंघ के कोचों के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को लिखे पत्र में पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई में वित्तीय गड़बड़ी और कुशासन का भी आरोप लगाया और दावा किया कि कोच और खेल विज्ञान कर्मचारी अक्षम हैं।

डब्ल्यूएफआई ने जवाब देते हुए कहा कि विरोध निराधार है और मौजूदा प्रबंधन को हटाने के लिए कोई एजेंडा चलाया जा रहा है, जिसके कारण पहलवानों की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया हुई।

आखिरकार, पीटी उषा के नेतृत्व में भारतीय ओलंपिक संघ और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने हस्तक्षेप किया, पहलवानों की शिकायतों को सुना और उन्हें पूर्ण न्याय का वादा किया। आश्वासन से संतुष्ट नहीं होने पर, पहलवानों ने मंत्री के साथ कई बैठकें कीं। इसके कारण अंतत: जब तक एक निरीक्षण समिति आरोपों की जांच नहीं करती और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करती, तब तक आलोचनाओं का सामना कर रहे बृजभूषण को पद से हटा दिया गया।

महान मुक्केबाज मैरी कॉम की अगुवाई वाली निगरानी समिति वर्तमान में डब्ल्यूएफआई की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को देख रही हैं और पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर रही हैं।

पिछले हफ्ते का विरोध निश्चित रूप से देश के अन्य खेल निकायों के लिए गंभीर मुद्दों को संबोधित करने और भारतीय महिला एथलीटों की भलाई और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए सबब होना चाहिए।

भारतीय खेल प्रशासक अक्सर दावा करते हैं कि उनके पास एक मजबूत प्रणाली है, जो एथलीटों को लिंग असमानता के बावजूद एक समान खेल का मैदान देती है। हालांकि, हाल के विकास और गंभीर आरोपों ने उन सभी दावों की पोल खोल दी है।

इसमें कोई शक नहीं कि पिछले कुछ सालों में भारतीय एथलीटों के लिए चीजों में काफी सुधार हुआ है। चाहे वह पुरुष हो या महिला खिलाड़ी, सुविधाओं, कोचों और मैदानों तक उनकी बेहतर पहुंच है। यहां तक कि आम लोगों ने भी देश की महिला एथलीटों के प्रति अपनी मानसिकता बदली है।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या ये महिला एथलीट अभ्यास, ट्रायल या यहां तक कि प्रतियोगिताओं के दौरान सुरक्षित महसूस कर रही हैं। क्या उनमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए सुरक्षा की भावना है?

जिन पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख पर गंभीर आरोप लगाए हैं, वे शीर्ष खिलाड़ी हैं, जिन्होंने भारत के लिए कई उपलब्धियां हासिल की हैं। यदि वे सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं, तो कोई निचले डिवीजन स्तर पर महिला एथलीटों की दुर्दशा की कल्पना कर सकता है, जहां वे अक्सर अपने मुद्दों को नहीं उठाती हैं और यदि वे ऐसा करती हैं, तो ज्यादातर लोग उसकी परवाह नहीं करते हैं।

इसलिए, यह भारत सरकार, खेल मंत्रालय और अन्य संघों के लिए इस मुद्दे को हल करने और ऐसा माहौल बनाने का समय है जहां महिला एथलीट अपनी कठिनाइयों और असुविधा के बारे में बात कर सकें। अगर उन्हें शिकायत मिलती है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

देश में खेलों के अलावा भी कई ऐसे क्षेत्र और उद्योग हैं, जहां यौन उत्पीड़न के मामले सामने आए हैं और वहां की गई कार्रवाई ने नजीर पेश की है।

यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो खेल मंत्रालय को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जो एथलीटों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगी। वहीं, दूसरों को अपने मुद्दों को उठाने की अनुमति देगी, जिससे अंतत: एक बेहतर भारतीय खेल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा।

--आईएएनएस

आरजे/आरआर

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