इंसान की खोई हंसी को वापस पाने की पहल करता नाटक “काबरा बाबरा”

0
108

भोपाल : 12 जनवरी/ वर्तमान समय में जीवन की आपा-धापी एवं भागम-भाग में कही न कही बहुत कुछ पीछे छूटता जा रहा है। हम हमेशा किसी न किसी चिंता में लिप्त रहते हैं। इस उलझन में हम हंसना भी भूल चुके हैं। इसी बात को रेखांकित करते हुए नाटक “काबरा बाबरा” इंसान की अपनी खोई हुई हंसी को पाने की पहल करता है जिसका मंचन शनिवार को श्यामला हिल्स स्थित लिटिल बैले ट्रुप सभागार में रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के टैगोर नाट्य विद्यालय के छात्रों द्वारा निर्देशक कन्हैया लाल कैथवास के निर्देशन में मंचन किया गया। “काबरा बाबरा” विलियम शेक्सपीयर द्वारा रचित हास्य नाटक ‘ द मेरी वाइव्स ऑफ विंडसर का हिंदी अनुवाद है।’

इसमे दो कहानियों का ताना बाना है पहली श्याम रतन रंगीला नामक एक दिल-फेक आशिक है,जो हर दूसरी रईस औरत से मुहब्बत कर बैठता है बशर्ते वह खूबसूरत और पैसों वाली हो। उसी क्रम में वह शहर के मशहूर रईस तुनकराम और फणीश्वरनाथ की पत्नियों को प्रेम पत्र भेजता है। दोनों श्याम रतन रंगीला से परेशान होकर उसे सबक सिखाने की योजना बनाती हैं, जिसमें श्याम रतन रंगीला फंस जाता है। वहीं दूसरी ओर तुनकराम की इकलौती बेटी लिल्ली जो गरीब लड़के से प्रेम करती हैं। लेकिन पिता चाहते है कि लिल्ली की शादी बिजनेस मैन से हो। मां चाहती हैं कि लिल्ली की शादी डॉक्टर से हो। अंत में लिल्ली किसको नकारती और किसको स्वीकारती है इसे रोचक अंदाज में नाटक में दर्शाया गया है।

फारस शैली के नाट्य संरचना में विदूषकीय शैली के साथ-साथ, कहीं कहीं देशज कला तत्वों के प्रयोग भी देखने को मिल सकते है। अभिनेता ने अपने शरीर की अंगगतियों, गीत, संगीत भाव भंगिमाओं से प्रस्तुति संरचना को लयबद्ध किया है जिसमें समसामयिक परिस्थितियों को, तीखे व्यंग और हसीं ठिठोली के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

निर्देशक- कन्हैया लाल कैथवास का परिचय

जन्म 11 अगस्त 1970 | सन 2000 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से परिकल्पना एवं निर्देशन में उपाधि। बाल्यावस्था से ही नाटकों में सहज रूचि की वजह से उज्जैन स्थित बाल मंच से जुड़ाव। पिछले 35 सालों से एक अभिनेता, निर्देशक और परिकल्पक के रूप में रंगकर्म। 100 से अधिक नाटकों में अभिनय एवं देश-विदेश में नाट्य प्रदर्शन। 40 से अधिक कार्यशालाओं का देश के कोने-कोने में संचालन। 50 से अधिक नाटकों का निर्देशन, जिसमें मध्यम व्यायोग, किंग लीयर, दुविधा, खेल गुरु का, रावण, सत्य हरिशचन्द्र, चोर-चकोर, लच्छेदार गुच्छा, ओस की बूँद, रूस्तम सोहराब, कागमुनि, स्वप्न रात्री, समझी लियो रे मना, अरण्य गाथा, अपना रख पराया चख, हमू त मनसा रे, तारतूफ, छोड़ चला बंजारा… इत्यादि। देश के जाने-माने रंगकर्मी बंसी कौल के निर्देशन में ‘क्लाऊन मैथडोलॉजी’ शैली पर रंग विदूषक में पाँच वर्ष तक कार्य। बिलासपुर जेल के कैदियों के साथ एक माह कार्य । एशिया आर्ट महोत्सव जापान में अनुराधा कपूर जी के निर्देशन में नवलखा का मंचन। पिछले 3 वर्षों से लगातार टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में फ़ार्स शैली पर नाटक तैयार करवा छात्रों को अभिनय प्रशिक्षण दे रहे हैं।

धारावाहिक एवं फीचर फिल्म स्वराज (अनवर जमाल), चिगुरद कनसु (नागा भरणा), वून्डेड (कृष्णा मिश्रा), व्हाट इज कुकिंग स्टेला (दीपा मेहता), कोयलांचल. धरती अब भी घूम रही है (राजेश त्यागी) तथा टी.वी. धारावाहिक-किस्से एक हजार, प्रेमचंद की कहानियाँ, कथा सरिता आदि में कला निर्देशन एवं अभिनय । राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की शोधवृत्ति परियोजना के तहत मालवा, निमाड़, झाबुआ की लोककला, संस्कृति पर कार्य। जूनियर फैलोशिप के तहत अवधांचल (उत्तरप्रदेश) के प्रदर्शनकारी लोकनाट्य पर 2 वर्ष कार्य। हैदराबाद केन्द्रिय विश्वविद्यालय में 4 माह तक अभिनय प्रशिक्षक के रूप में कार्य, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल में प्रस्तुति समन्वयक के पद पर तीन वर्ष कार्य। 2012 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा कबीर सम्मान ,शिखर सम्मान 2018, बेस्ट परफार्मिंग आर्टस प्रमोटर अवार्ड 2021 हरियाणा,रंग साधना सम्मान 1996, रंग परसाई राष्ट्रीय रंग सम्मान 2018,सतपुड़ा रंग सम्मान 2023। वर्तमान में केंद्रीय विश्वविद्यालय हैदराबाद मे सह प्राध्यापक के पद पर सक्रिय।

मंच पर-

श्याम रतन – अमरेश कुमार/ विराज नाइक

जोड़ी मेकर – कंचन बिस्वास

सुरिंदर – अनुराग तिवारी/ राम प्रताप सिंह

डॉ काला – राम प्रताप सिंह/ अनुराग तिवारी

फन्नी – शिवम् / विशाल भाटी

तुनकराम – साहिल वर्मा

नूर – अनुष्का रणदिवे

मंजु – अर्चना केसरवानी

पुष्पा – अनिनेश सावंत/ प्रकाश कुमार

लिल्लि – नेहा यादव

झुमकी – विराज नाइक/ अमरेश कुमार

रंगा- बिल्ला – विशाल भाटी/शिवम, प्रकाश कुमार / अनिनेश

 

मंच परे

मूल नाटक ” द मेरी वाइवस ऑफ विंडसर – विलियम शेक्सपियर

नाट्यानुवाद – अरुण कुमार सिंह,

रामसिंह पटेल

ताल वाद्य – वीरेंद्र जानी

हारमोनियम – अक्षय कुमार ठाकुर

संगीत सहायक – पूजा केवट

शारीरिक अंग गतिविधियाँ- उपेन्द्र मोहंता

वस्त्र परिकल्पना – पूजा केवट

वेषभूषा सहायक – नेहा,अर्चना,अनुष्का

वेषभूषा निर्माण – राकेश नामदेव

पोस्टर – निशिता चौधरी

रूप सज्जा – आस्था श्रीवास्तव,अनिशा सिंह,अर्चना केसरवानी

प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन – सचिन रावल

सहायक – राम,प्रकाश

सेट – कंचन,अनुराग,साहिल

प्रॉपर्टी – विराज,अनिमेश

ब्रोशर – शिवम

मंच परिकल्पना – राम सिंह पटेल

मंच प्रबंधक – विशाल भाटी,अनुष्का

प्रस्तुति समन्वयक – विक्रांत भट्ट

प्रस्तुति प्रबंधक- विमलेश पटेल

संगीत परिकल्पना – अंजना पुरी

सह निर्देशन – नितिन पाण्डेय

निर्देशन – कन्हैयालाल कैथवास