हिंदी के मशहूर आलोचक रामविलास शर्मा, जिनकी रचनाओं में मिलता है भाषा, साहित्य और...
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। ‘हिंदुस्तान हमारा है, प्राणों से भी प्यारा है। इसकी रक्षा कौन करे? सेंत-मेंत में कौन मरे? बैठो हाथ पै हाथ धरे! गिरने दो जापानी बम! सत्यं शिवं सुंदरम्’, ये कविता लिखी थी हिंदी के मशहूर आलोचक डॉ. रामविलास शर्मा ने। जिन्होंने अपनी लेखनी के जरिए भाषा, साहित्य और समाज को एक धागे में पिरोकर उसका मूल्यांकन करने का काम किया।
‘उपन्यास सम्राट’, जिनकी ‘सोजे वतन’ से डर गए थे हुक्मरान, लिखने पर लगाई पाबंदी...
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। मुंशी प्रेमचंद को शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने 'उपन्यास सम्राट' का नाम दिया। सहज हिंदी में बोझिल बातों को आसानी से कहकर आंखों से पानी की धार बहा देने का हुनर था प्रेमचंद में। जिन्होंने जो कागजों में लिखा उसे जीवन में भी उतारा। गोदान, रंगभूमि, निर्मला, गबन जैसी अनगिनत कृति रचने वाले प्रेमचंद की 8 अक्टूबर को पुण्यतिथि है।
पिता की ही तरह फंतासी दुनिया रचने में माहिर थे दुर्गा प्रसाद खत्री, बाबू...
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। 'बापे पूत परापत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा'...रोहतास मठ जैसा उपन्यास रचने वाले दुर्गा प्रसाद खत्री ने इस कहावत को चरितार्थ भी किया। जिस शख्स के पिता फंतासी दुनिया की सैर कराती चंद्राकांता जैसी कृति गढ़ने वाले हों भला वो कैसे पीछे रहते। उन्होंने भी कहानियां रची, उपन्यास लिख डाले जिनमें ऐयारी, तिलिस्म, साइंस फिक्शन, देशभक्ति के कण थे। 5 अक्टूबर को इनकी पुण्यतिथि है।
सांस्कृतिक पत्रिका ‘रंग संवाद’ एवं पुस्तक “बृज की रसोई” को इंडियन फेडरेशन ऑफ पब्लिशर्स...
भोपाल : 1 अक्टूबर/ फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स नईदिल्ली ने आईसेक्ट पब्लिकेशन की लोकप्रिय लेखिका डॉ विनीता चौबे की पुस्तक “बृज की रसोई” एवं...
अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलम्पियाड में जुटेंगे दस लाख युवा – संतोष चौबे
भोपाल : 28 सितम्बर/ रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 'हिंदी पखवाड़ा' के पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कवि–कथाकार, विश्व रंग के...
साहित्य की दादी : बिना स्कूल गए लिखी 500 से ज्यादा कविताएं, प्रतिभा को...
नई दिल्ली, 28 सितंबर (आईएएनएस)। एक महिला बिना स्कूली शिक्षा के उत्कृष्ट साहित्यकार बन जाती हैं। उनकी प्रतिभा देश-विदेश के दायरे से इतर हर तरफ फैल जाती है। यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट सर्च इंजन गूगल उनके लिए डूडल समर्पित करता है। आप हैरान नहीं हों, ये कारनामा करने वाली या यूं कहें, ऐसी शख्सियत सिर्फ बालमणि अम्मा ही हो सकती हैं।
प्रतिष्ठित राष्ट्रीय ‘शताब्दी सम्मान– 2024’ से अलंकृत हुए संतोष चौबे
भोपाल : 24 सितम्बर/ श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय 'शताब्दी सम्मान–2024' श्री संतोष चौबे, वरिष्ठ कवि–कथाकार, निदेशक, विश्व रंग एवं कुलाधिपति,...
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने बाल-साहित्य को दिया बढ़ावा, ‘खूंटियों पर टंगे लोग’ के लिए...
नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। 'तुमसे अलग होकर लगता है अचानक मेरे पंख छोटे हो गए हैं, और मैं नीचे एक सीमाहीन सागर में गिरता जा रहा हूं। अब कहीं कोई यात्रा नहीं है, न अर्थमय, न अर्थहीन, गिरने और उठने के बीच कोई अंतर नहीं', हिंदी साहित्य के बेहतरीन साहित्यकारों में शुमार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने इन पंक्तियों को स्याही में पिरोने का काम काम किया। वह इस कविता के जरिए न केवल यात्रा से रूबरू कराते हैं बल्कि वह जीवन के अंतर को भी बयां करते हैं।
सिंगापुर में ‘विश्व हिंदी शिखर सम्मान–2024’ से सम्मानित हुए संतोष चौबे
भोपाल : 17 सितम्बर/ भारतीय उच्चायोग सिंगापुर और सेंटर फॉर लैंग्वेज स्टडीज, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर द्वारा 13 से 15 सितंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय...
स्मृति शेष : ‘दानवीर कर्ण’ से मिली ख्याति, साहित्य की दुनिया के बने ‘मृत्युंजय’
नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। मराठी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार शिवाजी सावंत ने कई रचनाओं के जरिए अपनी खास पहचान बनाई। 18 सितंबर 2002 को आखिरी सांस लेने वाले शिवाजी सावंत ने अपनी लेखनी से पात्रों को ऐसा रचा कि सभी हमेशा के लिए अमर हो गए, पात्र भी और शिवाजी सावंत भी। उनका जन्म 31 अगस्त 1940 को हुआ था और पूरा नाम शिवाजी गोविंद राज सावंत था।