खुश रहने के लिए डोपामाइन है जरूरी, जानें क्या है ये और क्यों है इसकी अहमियत

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नई दिल्ली, 30 नवंबर (आईएएनएस)। क्या आपको याद है कि आप आखिरी बार कब खुश हुए थे। कोई ऐसा पल जिसमें आप दिल से एकदम खुश थे, चाहे वह आपकी व्यक्तिगत या पेशेवर उपलब्धि ही क्यों न हो। वह एक पल की खुशी जो जीवन में कभी-कभी किसी खास मौके पर ही आती है, उसे ही हम डोपामाइन कहते है।

डोपामाइन एक तरह का न्यूरोट्रांसमीटर है जो शरीर, मस्तिष्क और व्यवहार को नियंत्रित करता है। डोपामिन मुख्य रूप से मस्तिष्क के रिवॉर्ड सेंटर और प्लेजर सेंटर से जुड़ा होता है। जब हम कोई पुरस्कार प्राप्त करते हैं, तो डोपामिन का रिसाव होता है, जो हमें खुशी का अनुभव कराता है। यह हमारे शरीर में नींद और पाचन क्रिया के साथ हमारे भावनात्मक स्वास्थ्य का सबसे महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा होता है। जीवन में जब भी आपको बेहतर महसूस हो तो जान लें इसके पीछे डोपामाइन ही है।

डोपामाइन जीवन में हंसी और खुशी के पल बिताने के बारे में है लेकिन इसकी सही मात्रा ही शरीर के लिए अच्छी होती है। अगर इस मात्रा का संतुलन बिगड़ जाए तो यह शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। डोपामाइन पर अभी तक किसी तरह का कोई शोध नहीं किया गया। यह एडीएचडी, अवसाद, नींद की कमी और चिंता को कम करता है। यह व्‍यक्ति को उसके दैनिक जीवन में होने वाली गतिविधियों में मदद करता है।

अगर आप भी डोपामाइन का लाभ लेना चाहते हैं तो आज से ही वह काम करने की कोशिश कीजिए जो आपको खुशी देते हैं। आप अपने किसी दोस्‍त से बात कर सकते हैं, जो आपको खुशी देता हो। इसके अलावा किसी ऐसी गतिविधि में शामिल होना, जो आपको बेहतर महसूस करा सके, आपकी सेहत के लिए बहुत ही जरूरी है।

डोपामाइन को समझने के लिए आईएएनएस ने साइकोलॉजिस्ट एंड एजुकेटर डॉ. प्रिया भटनागर से बात की।

डॉ. प्रिया भटनागर ने कहा, ”डोपामाइन मानसिक स्वास्थ्य के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह संज्ञानात्मक कार्यों, सोचने और आनंद लेने के बारे में है। इन सभी चीजों में डोपामाइन की मजबूत भूमिका होती है। डोपामाइन असंतुलन से कई मानसिक विकार हो सकते हैं, जिसमें स्किजोफ्रेनिया, एटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर जैसी डिजीज शामिल है। यह एक तरह का न्यूरो डेवलपमेंटल विकार है जो ध्यान, नियंत्रण और गतिविधि को प्रभावित करता है।”

डॉ. प्रिया भटनागर ने आगे कहा, ”जब शरीर में डोपामाइन का स्तर उच्च होता है, तो इसके कारण इम्पल्स कंट्रोल, समस्या समाधान में कठिनाई, जल्दबाजी में निर्णय लेना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, जब डोपामाइन का स्तर कम हो जाता है, तो इससे थकान, आलस्य, और खुशी का अनुभव न हो पाना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, ”डोपामाइन को हम ‘फील गुड हार्मोन’ भी कहते हैं, क्योंकि यह एक ऐसा न्यूरोट्रांसमीटर है जो हमारे रिवॉर्ड, आनंद, सोचने, योजना बनाने, समन्वय, गति और संज्ञानात्मक क्षमताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका हमारे पूरे व्यवहार पर गहरा प्रभाव पड़ता है।”

डॉ. प्रिया भटनागर ने बताया कि कुल मिलाकर, हमें यह समझना जरूरी है कि डोपामाइन हमारे मस्तिष्क के आनंद क्षेत्र से जुड़ा होता है। यह वही रसायन है जो हमें हर चीज से खुशी दिलाता है और हमारी रुचियों को परिभाषित करता है। इसलिए, हमारे शरीर में डोपामाइन का एक संतुलित स्तर होना, मस्तिष्क तक इसका पहुंचना, और मस्तिष्क और शरीर के बीच सही संबंध बनाना बेहद महत्वपूर्ण है।”