नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली के चांदनी चौक से भाजपा के लोकसभा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने जलभराव की समस्या को लेकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना से सभी विभागों एवं दिल्ली के सभी लोकसभा सांसदों की बैठक बुलाने का आग्रह किया है।
खंडेलवाल ने दिल्ली की खराब जल निकासी व्यवस्था के कारण जलभराव से बुरी हालत पर गंभीर चिंता जताते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना से आग्रह किया है कि चूंकि केजरीवाल सरकार सीवर और ड्रेनेज सिस्टम को संभालने में पूरी तरह फेल साबित हुई है और लोग ढेर सारी परेशानियों से जूझ रहे हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए उपराज्यपाल को सभी विभागों के प्रमुखों तथा दिल्ली के सभी लोकसभा सदस्यों की एक संयुक्त मीटिंग तुरंत बुलानी चाहिए ताकि इस गंभीर मुद्दे पर सार्थक चर्चा होकर ठोस कदम उठाए जा सकें।
भाजपा सांसद ने सुझाव दिया कि नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली के लिए एक समग्र जल निकासी मास्टर प्लान तैयार किया जाए तथा इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और अन्य इसी तरह के पेशेवर संस्थानों की मदद लेकर सीवर एवं ड्रेनेज व्यवस्था को व्यवस्थित किया जाए।
उन्होंने कहा कि यह समस्या सिर्फ मानसून के दौरान ही नहीं, बल्कि सामान्य बारिश के समय भी दिल्लीवासियों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। दिल्ली की सड़कों पर थोड़ी सी बारिश के बाद ही पानी भर जाता है और यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि सामान्य नागरिक का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम इस समस्या को हल करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। दिल्ली सरकार इस संकट से निपटने के लिए एक सामान्य मानसून योजना या एक ऐसी एजेंसी या विभाग बनाने में असमर्थ रही है, जो उनके कार्यों का समन्वय कर सके।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की कई महत्वपूर्ण सड़कों और नालों में ढलान की कमी है, जो बारिश के पानी को स्वाभाविक रूप से बहने नहीं देती। निचले इलाकों में स्थित सड़कों की स्थिति और भी बदतर है। वहां जल निकासी व्यवस्था अत्यंत कमजोर है और जो थोड़ी बहुत है, वो बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात पैदा कर देती है। पिछले नौ वर्षों से अधिक समय से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है और प्रत्येक वर्ष बारिश के कारण से दिल्ली में बड़े पैमाने पर जल भराव की समस्या होती है। लेकिन, फिर भी आप सरकार इतने वर्षों में इसका स्थायी समाधान नहीं ढूंढ पाई है क्योंकि आम आदमी पार्टी की सरकार की दिलचस्पी समस्याओं के समाधान में है ही नहीं।