पाकिस्तान को सबक सिखाना जरूरी, आईएसआई की तोड़ें रीढ़ : एसपी वैद

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जम्मू, 1 मई (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल है। इस हमले के बाद हर तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात हो रही है। इसी बीच, जम्मू-कश्मीर के पूर्व महानिदेशक एसपी वैद ने कहा कि जवाब ऐसा होना चाहिए कि पाकिस्तान फिर कभी इस तरह की कायराना हरकत करने की हिम्मत न कर सके।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक (डीजीपी) एसपी वैद ने गुरुवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा है कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया जाए कि वह दोबारा कभी इस तरह की कायरता दिखाने की हिम्मत न कर सके। सिर्फ आतंकवादियों को मारने से आतंकवाद खत्म नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान की आईएसआई और सेना की रीढ़ नहीं तोड़ी जाएगी, तब तक कश्मीर में स्थायी शांति संभव नहीं है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की जड़ को पूरी तरह खत्म करना जरूरी है। उन्होंने इस हमले में ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) की भूमिका पर भी सवाल उठाए। एसपी वैद ने दावा किया कि इस तरह का हमला ओजीडब्ल्यू की मदद के बिना संभव ही नहीं है। आतंकियों को जितना समर्थन हथियारों से मिलता है, उतना ही ओजीडब्ल्यू से भी। ये लोग समाज और कश्मीर के साथ-साथ भारत के भी दुश्मन हैं। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है।

पूर्व डीजीपी ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के बयानों पर भी तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि चाहे पाकिस्तान हो या उसके रक्षा मंत्री, हमने पहले भी इनके खोखले बयानों को सुना है और अब भी सुन रहे हैं। ये सिर्फ मदरसों की दुकानें हैं, जो केवल धमकियां देना जानते हैं। भारत अब जवाब देना भी जानता है।

फारूक अब्दुल्ला के उस बयान पर भी पूर्व डीजीपी ने टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत से पाकिस्तान में लोगों को डिपोर्ट करना सही नहीं है। एसपी वैद ने इस पर कहा कि मैं फारूक अब्दुल्ला की राय से सहमत नहीं हूं। भारत सरकार का निर्णय बिल्कुल सही है। इस देश के संसाधनों पर पहला अधिकार भारतीयों का है।

इसके अलावा, कश्मीर घाटी में सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि जिन घरों से आतंकवाद को पनाह मिलती है, उनका ध्वस्तीकरण भी न्यायसंगत है। सुरक्षा एजेंसियां जो कदम उठा रही हैं, वह राष्ट्रहित में उचित हैं।