मैसूर, 6 नवंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बुधवार को मुडा घोटाले को लेकर मैसूर के लोकायुक्त अधीक्षक टी.जे. के समक्ष पेश हुए। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में लोकायुक्त दफ्तर के बाहर एकत्रित होकर मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं ने ‘मुख्यमंत्री वापस जाओ’ जैसे नारे भी लगाए।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगा और कहा कि हम एक ऐसे मुख्यमंत्री के नेतृत्व को कभी स्वीकार नहीं कर सकते हैं, जिनके नेतृत्व में भ्रष्टाचार हो रहा हो।
लोकायुक्त ऑफिस के बाहर प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं के जमा होने की वजह से एक पल के लिए स्थिति बेकाबू हो गई, जिसे देखते हुए पुलिस ने कई प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। पहले तो पुलिस ने जुबानी तौर पर कार्यकर्ताओं को दफ्तर के बाहर एकत्रित होने से साफ इनकार कर दिया। लेकिन, इसके बाद भी जब कार्यकर्ता नहीं माने तो बाध्य होकर पुलिस को कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करना पड़ा।
बता दें कि मुडा घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का नाम मुख्य आरोपी के रूप में सामने आया है। इस मामले में 27 सितंबर को कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद लोकायुक्त ने इस पूरे मामले को संज्ञान में लेने के बाद जांच शुरू कर दी।
इसी कड़ी में बुधवार को पूछताछ के लिए लोकायुक्त के समक्ष पेश हुए। मुडा (एमयूडीए) में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में सीएम को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
कर्नाटक के इतिहास में सत्ता में रहते हुए लोकायुक्त जांच का सामना करने वाले सिद्धारमैया पहले मुख्यमंत्री हैं।
सीएम सिद्धारमैया का पिछला रिकॉर्ड काफी साफ सुथरा रहा है। चार दशक के राजनीतिक करियर में वो पहली बार जांच का सामना कर रहे हैं
सूत्रों ने बताया कि अगर सीएम सिद्धारमैया को लोकायुक्त जांच में क्लीन चिट मिल जाती है, तो इससे उन्हें यह तर्क देने में मदद मिलेगी कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की जरूरत नहीं है और उनके खिलाफ आरोप राजनीति से प्रेरित है।
सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट 26 नवंबर को सुनवाई करेगा। कोर्ट ने लोकायुक्त से जांच की रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है।