रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कृषि संकाय ने किसान दिवस हर्षोल्लासपूर्वक मनाया

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भोपाल : 6 जनवरी/ रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कृषि संकाय ने किसान दिवस हरसोलश पूर्वक मनाया। इस अवसर पर डॉ. जी. पी. प्रजापति, प्रबंध निदेशक, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन इंस्टीट्यूट, भोपाल, डॉ. संजय श्रीवास्तव, प्रधान वैज्ञानिक भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल, डॉ. आर. के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल, डॉ. एम. पी. सिंह, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञानं केंद्र भोपाल, डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, प्रो-चांसलर आरएनटीयू, डॉ. संगीता जौहरी, प्रति कुलपति, डॉ. एच. डी. वर्मा, डीन, कृषि संकाय और डॉ. अशोक कुमार वर्मा, विभागाध्यक्ष, कृषि संकाय विशेष रूप से उपस्थित थे। इस आयोजन का उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना और कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों व समाधानों को बढ़ावा देना था।

इस अवसर पर डॉ. जी. पी. प्रजापति ने रासायनिक उर्वरकों के अधिक उपयोग के कारण मिट्टी की गिरती गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों के बारे में बताया। उन्होंने जैविक उत्पादों और संबंधित योजनाओं पर चर्चा की। डॉ. संजय श्रीवास्तव ने मृदा विज्ञान और मृदा परीक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे मृदा परीक्षण किसानों को बेहतर उत्पादन के लिए प्रेरित कर सकता है। डॉ. आर. के. सिंह ने सिंचाई प्रबंधन प्रणाली और किसानों के लिए उपलब्ध कृषि योजनाओं के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि सिंचाई प्रबंधन में सुधार से फसल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। डॉ. एम. पी. सिंह ने किसानों के साथ बातचीत करते हुए उनकी क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया। उन्होंने किसानों को उनकी फसल से संबंधित समस्याओं पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया। कार्यक्रम के दौरान, जैविक खेती और टिकाऊ कृषि पर विशेष सत्र आयोजित किया गया। इसमें बताया गया कि कैसे जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से भी लाभप्रद है।

वहीं डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय द्वारा किसानों और गोद लिए गए गांवों के साथ किए गए संवाद और कृषि अनुसंधान केंद्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पॉलीहाउस और जैविक प्रमाणित 8 एकड़ के फार्म की उपलब्धियों का उल्लेख किया। डॉ. संगीता जौहरी ने कृषि विशेषज्ञों द्वारा दी जाने वाली कृषि सलाह सेवाओं पर चर्चा की। उन्होंने क्लस्टर विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए सुझाव दिए।

कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत और प्रारंभिक संबोधन कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. एच. डी. वर्मा द्वारा स्वागत भाषण और आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए हुई। उन्होंने इस दिन के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि यह आयोजन न केवल किसानों के सशक्तिकरण का माध्यम है, बल्कि कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों और नवाचारों को बढ़ावा देने का एक अनूठा प्रयास है। डॉ. अशोक कुमार वर्मा, विभागाध्यक्ष, कृषि संकाय, ने कार्यक्रम की मुख्य बातें प्रस्तुत कीं। उन्होंने बताया कि कैसे इस प्रकार के आयोजन किसानों और वैज्ञानिकों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करते हैं। वहीं किसानो को डॉ. ऋषिकेश मंडलोई, कार्यक्रम समन्वयक के द्वारा बनाए गए कृषि साहित्य का वितरण किया गया इसके साथ ही सब्जियों के बीजो का पैकेट जिसमे नो प्रकार के सब्जियों के बीज शामिल थे एवं आंवला के पौधे उपलब्ध कराये गए । किसान दिवस 2024 के अंतर्गत एक तकनीकी प्रदर्शनी एवं फसल प्रक्षेत्र भ्रमण भी आयोजित की गई, जिसमें विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान केंद्र की प्रमुख उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया। इन उपलब्धियों में पॉलीहाउस तकनीक, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन, क्रॉप कैफेटेरिया, अजोला उत्पादन इकाई और नवीनतम कृषि उपकरणों का प्रदर्शन शामिल था।

कार्यक्रम का समापन डॉ. मनोहर सरयाम, सहायक प्राध्यापक, कृषि संकाय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने अध्यक्ष, किसानों, विशेषज्ञों, संकाय सदस्यों, स्वयंसेवकों और तकनीकी स्टाफ का आभार व्यक्त किया।

इस आयोजन ने न केवल किसानों को नई तकनीकों और दृष्टिकोणों से परिचित कराया, बल्कि उनके सामने कृषि के क्षेत्र में उभर रही चुनौतियों के समाधान भी प्रस्तुत किए। यह आयोजन न केवल ज्ञान का आदान-प्रदान था, बल्कि किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के बीच संवाद का एक सशक्त माध्यम भी साबित हुआ। इस आयोजन ने किसानों को सशक्त बनाने और कृषि में नई संभावनाओं को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।