नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। बी.ई.एफ.ए.एस.टी मिलाकर कहें तो बीफास्ट। ये आपको फास्ट होने की एक तरह से हिदायत भी देता है। खतरे को तेजी से भांप आगे बढ़ने का नाम है ये। स्ट्रोक से पहले का लक्षण है। वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर आइए जानते हैं उन वार्निंग साइन के बारे में जो आपको सचेत करता है, आपसे कहता है अनहोनी दस्तक दे सकती है बस आप तैयार हो जाइए।
वर्ल्ड स्ट्रोक डे हर साल 29 अक्टूबर को मनाया जाता है। इतिहास कोई बहुत पुराना नहीं है। हर साल एक थीम रखी जाती है जिसका मकसद लोगों को स्ट्रोक के दुष्प्रभावों से बचाना है।
2004 में, विश्व स्ट्रोक कांग्रेस ने स्ट्रोक जागरूकता दिवस मनाने के लिए वैंकूवर, कनाडा में इसकी शुरुआत की। 2006 में, विश्व स्ट्रोक संगठन का गठन स्ट्रोक के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया गया था।
ब्रेन स्ट्रोक दिमाग में खून सप्लाई में रुकावट या ब्लीडिंग के कारण होता है। वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक हर चार में से एक शख्स इसका शिकार हो रहा है।
स्ट्रोक के कुछ सामान्य लक्षणों में अचानक कमजोरी, शरीर का एक हिस्सा सुन्न होना, तेज सिरदर्द, कंफ्यूजन और चक्कर आना शामिल हैं। हालांकि, साइलेंट स्ट्रोक के मामलों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं, स्ट्रोक के चेतावनी संकेतों को जल्द से जल्द पहचानना जीवन बचाने या मस्तिष्क को आजीवन क्षति से बचाने के लिए काफी अहम है।
स्ट्रोक को आखिर पहचाने तो पहचाने कैसें। न्यूरोलॉजिस्ट्स के मुताबिक ‘बीफास्ट’ अहम है। स्ट्रोक के लक्षणों को याद रखने का ये सबसे आसान तरीका भी है।
बी (बैलेंस): संतुलन या समन्वय की कमी से पैर लड़खड़ाने लगते हैं।
ई (आइज): धुंधला दिखता है या फिर आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है, देखने में परेशानी आती है।
एफ (फेस: यदि मुस्कुराते समय चेहरे का एक हिस्सा सुन्न हो जाता है या फिर कुछ टेढ़ा सा दिखता है।
ए (आर्म्स): जांच करें कि क्या व्यक्ति दोनों हाथ ऊपर उठा सकता है। अगर वह उठा सकता है, तो देखें कि क्या एक हाथ नीचे की ओर जा रहा है।
एस (स्पीच): व्यक्ति जो बोलता है वो अस्पष्ट होता है। या फिर एक ही बात को कई बार दोहराने पर वो बोल पाता है।
टी (टाइम): यदि आपको उपरोक्त कोई भी लक्षण दिखे तो डॉक्टर की सलाह तुरंत लें। समय में ट्रीटमेंट मिले तो मरीज बिलकुल दुरुस्त हो सकता है।
डब्ल्यूएसओ के मुताबिक गोल्डन आवर में अगर लक्षण भांप लिया तो परिणाम अच्छे मिल सकते हैं। और ये गोल्डन ऑवर है 90 मिनट। 90 मिनट के भीतर उचित उपचार मिल जाए तो स्ट्रोक का मरीज बिना किसी नुकसान के पूरी तरह से ठीक हो सकता है।