लखनऊ, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर राजनीतिक समीकरणों को हिलाकर रख दिया है। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की विफलता ने पार्टी के भीतर और बाहर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अमीक जामेई ने बुधवार को इस पर चिंता जताई। उन्होंने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजों पर प्रतिक्रिया दी।
आईएएनएस से बातचीत में सपा प्रवक्ता ने कहा कि हरियाणा में भाजपा की जीत हुई है। ऐसी उम्मीद किसी को नहीं थी। अग्निवीर योजना, पुरानी पेंशन नीति, किसानों के मुद्दे और पहलवान बेटियों की समस्याओं जैसे कई मुद्दों पर लोगों ने भाजपा को नकारने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा के वोट शेयरिंग में ज्यादा अंतर नहीं है। जिस तरह से हरियाणा में जीत हुई है, उसमें भाजपा और आरएसएस जम्मू-कश्मीर की हार को छिपा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी अनुच्छेद 370, सेब के बागानों और उनके मित्रों द्वारा ली जा रही जमीनों के बारे में बात नहीं करना चाहते हैं। कश्मीर की नीतियां भाजपा और आरएसएस के खिलाफ हैं। हो सकता है कि कोई रणनीति रही हो। हो सकता है कि इंडी अलायंस और नेशनल कॉन्फ्रेंस में कुछ कमियां रही हों।
कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि समाजवादी पार्टी का हरियाणा में कोई जनाधार नहीं है। इस बारे में सपा प्रवक्ता ने कहा कि इंडी गठबंधन की रणनीति ही राष्ट्रीय रणनीति है। राष्ट्रीय रणनीति में सभी एक दूसरे के साथ खड़े होते हैं। हरियाणा में सपा और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा क्योंकि इस पर पहले कोई चर्चा नहीं हुई। हालांकि, लोकसभा चुनाव में जिस तरह से अखिलेश यादव ने नरेंद्र मोदी को हराया है, उससे लगता है कि पूरे देश की जनता अखिलेश यादव को चाहती है। अगर आने वाले समय में कांग्रेस और सपा महाराष्ट्र में साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी तो अलग नजारा देखने को मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों में से 48 सीटें भाजपा, 37 सीटें कांग्रेस, 2 सीटें इनेलो और 3 सीटें अन्य के खाते में गई हैं। जेजेपी इस बार अपना खाता भी नहीं खोल पाई। सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास 46 विधायक होने चाहिए। इस लिहाज से भाजपा राज्य में सरकार बना सकती है।