नई दिल्ली, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। नॉर्वे के पूर्व जलवायु एवं पर्यावरण मंत्री एरिक सोलहेम ने शनिवार को आईएएनएस से कहा कि अदाणी ग्रुप के अधिकारियों पर अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) का अभियोग ‘पूरी तरह से अमेरिकी अतिक्रमण’ है। उन्होंने कहा यह ग्रुप एक बार फिर मजबूत वापसी करेगा।
वरिष्ठ राजनयिक के अनुसार, अगर अमेरिका को अदाणी ग्रुप के बारे में कोई शिकायत है, तो उसे सबसे पहले भारत सरकार के पास जाना चाहिए, उनके संज्ञान में लाना चाहिए और फिर उसे अमेरिकी अदालत की बजाय भारतीय न्यायिक प्रणाली का हिस्सा बनना चाहिए।
ऐसा अतिक्रमण इसलिए भी हानिकारक है क्योंकि अदाणी ग्रुप भारत के हरित परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
सोलहेम ने आईएएनएस से कहा, “उनके पास सौर और पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की बहुत बड़ी योजनाएं हैं और कई भारतीय राज्यों और देश के बाहर बड़े हरित निवेश हैं। ग्रुप ने ऊर्जा सुरक्षा पहलों के लिए अमेरिका में 10 अरब डॉलर का निवेश करने की भी घोषणा की है। इस तरह के अभियोगों से इन सभी को नुकसान पहुंचेगा।”
अदाणी ग्रुप ने अमेरिकी ऊर्जा सुरक्षा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में 10 अरब डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसका लक्ष्य देश में 15 हजार स्थानीय नौकरियां पैदा करना है।
सोलहेम ने आगे कहा कि अमेरिका को इस तरह के अधिकारपूर्ण दृष्टिकोण को रोकना चाहिए और इसकी बजाय इस तरह के निरर्थक कार्यों के परिणामों पर गौर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि अदाणी समूह इसके बाद “और भी मजबूत होकर वापसी करेगा”।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य करने वाले सोलहेम ने कहा कि वह समय बीत चुका है जब अमेरिका जैसे पश्चिमी देश दुनिया के मध्यस्थ और न्यायाधीश थे।
उन्होंने कहा, “यह अतीत की बात है। इसे रोकना चाहिए।”
इस बीच, 20 जनवरी को अगले अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण से कुछ ही दिन पहले अदाणी ग्रुप के अधिकारियों के खिलाफ आरोप प्रस्तुत करने वाले अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस ने 10 जनवरी को पद छोड़ने की घोषणा की है।
डीओजे ने इस साल नवंबर में अदाणी समूह के अधिकारियों पर प्रतिभूति धोखाधड़ी से लेकर वायर धोखाधड़ी तक के आरोपों में अभियोग लगाया।