भोपाल : 12 सितम्बर/ न्यू जर्सी (अमेरिका) स्थित युवा हिंदी संस्थान और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के संयुक्त प्रयास से विकसित फुलब्राइट-हेस जी पी ए हिंदी पाठ्यक्रम निर्माण परियोजना का बीस सदस्यीय दल 2025 के वसंत में भोपाल के पाँच दिवसीय अध्ययन-दौरे पर भारत आएगा। दल रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल की मेजबानी में आयोजित होने वाले विविध कार्यक्रमों में शामिल होगा।
इस आशय की सहमति रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलाधिपति संतोष चौबे और फुलब्राइट-हेस जी पी ए परियोजना के कार्यक्रम निदेशक अशोक ओझा के बीच मुलाकात के दौरान बनी है। मुलाकात के दौरान कुलाधिपति श्री चौबे ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में मध्य प्रदेश की नृत्य-संगीत और कला की झलक प्रस्तुत करने के लिए विश्वविद्यालय के टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र एवं उत्कृष्ट केन्द्रों द्वारा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा। डॉ. जवाहर कर्नावट, निदेशक, टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केन्द्र कार्यक्रमों के संयोजक हैं।
श्री ओझा ने बताया कि युवा हिंदी संस्थान और न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी फुलब्राइट-हेस जी पी ए परियोजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि अमेरिकी भाषा शिक्षकों और वहाँ शिक्षक-प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति का औपचारिक ज्ञान प्राप्त हो, ताकि वे अमेरिका लौट कर उन सांस्कृतिक विषयों पर हिंदी में उत्कृष्ट पाठ्यक्रम तैयार कर सकें। “हमारा लक्ष्य अमेरिकी भाषा शिक्षकों और विद्यार्थियों को भारत के विविध सांस्कृतिक परिदृश्य से परिचित कराना है।”
अशोक ओझा और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में हिंदी की वरिष्ठ प्राध्यापिका प्रोफ़ेसर गैब्रिएला निक इलेवा इस परियोजना के जनक हैं जिसका विषय है: “भारत की लोक संस्कृति में कहानी के विविध आयाम और ऐतिहासिक स्थापत्य स्थलों में मूर्ति कला द्वारा प्रस्तुत कहानियाँ ”।
फुलब्राइट प्रतिभागी भारत में अजंता-एलोरा, सांची, दिल्ली, खजुराहो और वाराणसी-सारनाथ में स्थापत्य स्थलों का दौरा करेंगे, साथ ही रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा आयोजित कार्यशालाओं के माध्यम से भारतीय लोक संगीत-कला में कहानी परम्परा के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
अमेरिका में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के अलावा, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास-ऑस्टिन (UTA), मैकमिलन सेंटर, येल यूनिवर्सिटी और मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (MSU) के प्राध्यापक कार्यक्रम के भागीदारों को प्रशिक्षित करेंगे। भारत में रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल के साथ ही बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, तथा इंदिरा गांधी सेंटर फॉर द आर्ट्स, दिल्ली, भी परियोजना को सफल बनाने के लिए सहयोग कर रहे हैं।