मुंबई, 22 नवंबर (आईएएनएस)। आम आदमी पार्टी के कई नेता हाल ही में पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो गए। सबसे ताजा मामला कैलाश गहलोत का है। गहलोत भाजपा में शामिल हो गए। इस पर आप की पूर्व नेता अंजली दमानिया पार्टी का बचाव किया है।
अंजलि दमानिया ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “आम आदमी पार्टी में जो लोग पहले जुड़े थे, वे बहुत सीधे-सादे थे, जिनका मकसद देश की राजनीति में बदलाव लाना था। हालांकि कुछ कारणों से कई लोग पार्टी छोड़कर गए हैं, लेकिन अधिकांश ने पार्टी के बारे में नकारात्मक कुछ नहीं कहा। कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने अचानक आकर पार्टी के खिलाफ बातें शुरू कीं, जैसे कैलाश गहलोत। उन्होंने हाल ही में कहा कि जो ‘शीश महल’ बना था, वह गलत था और उसी वजह से वह पार्टी छोड़ रहे हैं। अचरज की बात है कि उन्हें यह समझने में दो-तीन साल लग गए। ऐसे लोग अक्सर अवसरवादी होते हैं।”
उन्होंने कहा, “कुछ लोग अपने मतभेदों के कारण पार्टी छोड़ते हैं, जो अलग बात है। कुछ लोग अपने फायदे के लिए पार्टी छोड़ते हैं। पिछले कुछ दिनों में अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा है। आज पूरे देश में हर प्रकार का भ्रष्टाचार हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून को महाराष्ट्र में सिंचाई घोटाले के बारे में कहा था, लेकिन तीन दिन बाद उसी घोटाले के किंगपिन अजित पवार और उनकी पार्टी सरकार में शामिल हो जाती है। साथ ही, प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल जैसे लोग भी भाजपा में शामिल होते हैं। मैं यह नहीं कहती कि यह कोई साजिश थी, लेकिन यह गलत है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) केवल विरोधी दलों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, जबकि सत्ताधारी दल के नेताओं को क्लीन चिट मिल जाता है।”
दमानिया ने आम आदमी पार्टी में आए बदलाव पर कहा, “मैं आज भी मानती हूं कि अरविंद केजरीवाल ने जो भी किया, वह सिर्फ अपनी पार्टी और विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए किया, लेकिन इसमें कुछ गलतियां भी हुईं, जिसके कारण हम जैसे कई लोग पार्टी छोड़कर गए।”
मुफ्त की रेवड़ी कैंपेन पर उन्होंने कहा, “फ्री की रेवड़ी जैसा शब्द सुनकर मुझे बहुत अचरज होता है। यही भाजपा जब पूरे देश में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में योजनाएं लाती है, तो लगता है कि यह अवसरवादी राजनीति है।”
उन्होंने प्रकाश अंबेडकर के सत्ता के साथ रहने वाले बयान पर कहा, “प्रकाश अंबेडकर के बारे में मेरा हमेशा से यह सवाल रहा है कि वह राजनीति क्यों करते हैं, क्या यह स्वार्थ के लिए है या पद के लिए? यह राजनीति का तरीका बंद होना चाहिए। उन्होंने चुनाव में जीतने के बाद किसी के साथ जाने का जो बयान दिया है। चुनाव लड़ने का मकसद यह नहीं होना चाहिए।”
अजित पवार के बारे में उन्होंने कहा, “अजित पवार एक ऐसे नेता हैं जिनके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। अगर 18 से 20 सीटें आती हैं, तो वह खुद को मंत्री बनाने की कोशिश करेंगे, चाहे वह भाजपा की सरकार हो या कोई और।”