अमेठी, 29 मार्च (आईएएनएस)। हिंदू नव वर्ष के पावन अवसर पर बाबूगंज सगरा आश्रम से मीरा मंदिर तक शनिवार को एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया और भजन-कीर्तन के साथ नगर भ्रमण किया। सजे हुए रथ, रंग-बिरंगे ध्वज, बैंड-बाजे और श्रद्धालुओं की टोलियां इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रहीं। भक्तिमय माहौल में पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा।
शोभायात्रा के साथ ही नक्षत्र उपासना महायज्ञ का भी आयोजन शुरू हुआ, जो प्रतिष्ठा दिवस से लेकर महाअष्टमी तक चलेगा। इस महायज्ञ में श्रद्धालु विशेष पूजा-अर्चना में भाग लेंगे और नक्षत्र देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी। आयोजकों के अनुसार, यह धार्मिक अनुष्ठान समाज में सुख-समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक उन्नति के उद्देश्य से किया जा रहा है।
बाबूगंज सगराआश्रम में नवरात्रि के समापन तक विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला जारी रहेगा। इनमें संकीर्तन, प्रवचन, हवन, भजन संध्या और भव्य आरती जैसे आयोजन शामिल होंगे। इसके अलावा, श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की गई है।
स्थानीय भक्तों और आयोजकों ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे इन आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करें। इस धार्मिक यात्रा और महायज्ञ के चलते पूरे क्षेत्र में भक्ति और उत्साह का माहौल बना हुआ है।
मौनी महाराज ने इस अवसर पर कहा, “धर्म और संस्कृति ही समाज की वास्तविक पहचान हैं। नवरात्रि शक्ति उपासना का पर्व है, जो हमें सत्य और सद्भावना के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। नक्षत्र महायज्ञ के माध्यम से भक्तों को दिव्य ऊर्जा प्राप्त होगी, जिससे समाज में शांति और समृद्धि का संचार होगा।”
वहीं दूसरी ओर, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भी 6 अप्रैल को रामनवमी मनाने की घोषणा की है। ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने बताया कि 6 अप्रैल को सुबह 9:30 से 10:30 बजे तक भगवान का अनुष्ठान स्नान होगा, जिसके बाद मंदिर के दरवाजे 11:40 बजे तक बंद रहेंगे। सुबह 11:45 बजे गर्भगृह के दरवाजे मूर्ति के श्रृंगार के लिए खुले रहेंगे, और प्रसाद चढ़ाने के बाद फिर बंद कर दिए जाएंगे।
चंपत राय ने कहा कि दोपहर में भगवान राम के जन्म के अवसर पर आरती और सूर्य तिलक होगा, जिसमें सूर्य की किरणें मूर्ति के माथे को रौशन करेंगी। लगभग तीन से साढ़े तीन मिनट तक सूर्य की रोशनी को दर्पण और लेंस के संयोजन से मूर्ति के माथे पर केंद्रित किया जाएगा।