रुद्रप्रयाग, 17 सितंबर (आईएएनएस)। देश के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक, तुंगनाथ मंदिर की स्थिति चिंताजनक है। तीर्थ पुरोहित कृष्ण बल्लभ मैठाणी ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि मंदिर एक तरफ झुक रहा है। फॉरेस्ट एक्ट के आड़े आने की वजह से इसका जीर्णोद्धार करना भी कठिन हो रहा है। तुंगनाथ की दीवारों पर मोटी दरारें आ गई हैं और सभा मंडप की छत से पानी टपक रहा है।
बताया जा रहा है कि स्थानीय तीर्थ पुरोहित लंबे समय से मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि वन अधिनियम के कारण निर्माण कार्य में अड़चन आ रही है, जिससे जीर्णोद्धार की प्रक्रिया पर असर पड़ा है।
तीर्थ पुरोहित कृष्ण बल्लभ मैठाणी ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया, “इस मंदिर के जीर्णोद्धार में फारेस्ट एक्ट आड़े आ रहा है। कोई भी सामान ऊपर लाने में परेशानी होती है। उसके लिए कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है। मंदिर लगातार बाईं ओर झुकता चला जा रहा है। यह पांडव कालीन मंदिर है, जिसको आदि गुरु शंकराचार्य ने बनवाया था। सरकारी नियमों के अनुसार यहां कोई भी निर्माण किया ही नहीं जा सकता है। सरकारी अनुमति के लिए इतने पापड़ बेलने पड़ते हैं कि काम हो ही नहीं पाता। मंदिर का निर्माण करने के लिए भी वन विभाग आड़े आ रहा है।”
हालांकि, मंदिर समिति ने तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने पुष्टि की है कि तुंगनाथ मंदिर में भू धंसाव से होने वाले नुकसान की जानकारी उनके पास है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आर के लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा मंदिर का अध्ययन करवाया गया था, और इन रिपोर्टों को मंदिर समिति ने प्राप्त कर लिया है।
इसके अलावा, सीबीआरआई रुड़की की टीम ने भी तुंगनाथ मंदिर का अध्ययन किया है। इन टीमों की रिपोर्ट के आधार पर जीर्णोद्धार कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा।
बता दें कि तुंगनाथ मंदिर करोड़ों सनातनियों और हिन्दू धर्मावलंबियों की आस्था का केन्द्र है। मंदिर के अस्तित्व पर बढ़ते संकट को लेकर श्रद्धालु भी चिंतित हैं। हालांकि, मंदिर समिति ने आश्वस्त किया है कि तुंगनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार जल्द किया जाएगा।