कमजोरी, जुकाम-खांसी समेत इन दिक्कतों को दूर करने में कारगर है ‘च्यवनप्राश’

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नई दिल्ली, 25 मार्च (आईएएनएस)। अगर ‘च्यवनप्राश’ को आयुर्वेद की एक प्राचीन और विश्वसनीय औषधि कहा जाए, तो ऐसा कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा। भारत के घरों में हजारों वर्षों से ‘च्यवनप्राश’ का इस्तेमाल होता आ रहा है। इसे न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है, बल्कि यह तंदुरुस्ती का भी पर्याय रही है। इसके फायदे न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देते हैं। आइए जानते हैं ‘च्यवनप्राश’ से जुड़े फायदों के बारे में, जिसकी वजह से आज भी इसे सेहत के लिए रामबाण माना गया है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने भी च्यवनप्राश के गुणों का लोहा माना है। कुछ शोध और अध्ययन के जरिए इसे लेकर 2019 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई, जिसमें ‘न्यूट्रास्युटिकल’ शब्द का इस्तेमाल किया गया। दरअसल, 1989 में स्टीफन डी फेलिस ने ‘न्यूट्रास्युटिकल’ शब्द गढ़ा था, जिसका अर्थ है “ऐसा भोजन या भोजन का हिस्सा जो बीमारी की रोकथाम और/या उपचार सहित चिकित्सा या स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।”

लेख के मुताबिक, च्यवनप्राश पिछले 5000 वर्षों से भारतीय परंपरा का एक अभिन्न अंग रहा है, जिसमें निरंतर उत्साह और जीवंतता के साथ भोजन और न्यूट्रास्युटिकल दोनों शामिल हैं, और यह अपने अद्वितीय स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है। च्यवनप्राश में विटामिन, प्रोटीन, आहार फाइबर, ऊर्जा सामग्री, कार्बोहाइड्रेट, कम वसा सामग्री (नो-ट्रांस और शून्य प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल) और प्रमुख और मामूली ट्रेस तत्वों के सराहनीय स्तर हैं।

पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सक सीपी को “एजलेस वंडर” कहते हैं। सीपी का सूत्र समय-परीक्षण किया गया है और वर्तमान विश्व की स्वास्थ्य चिंताओं को कम करने के लिए अभी भी प्रभावी है। सीपी के संदर्भ में, चरक संहिता कहती है: ‘यह प्रमुख रसायन है, जो खांसी, अस्थमा और अन्य श्वसन रोगों को दूर करने के लिए फायदेमंद है; यह कमजोर और क्षतिग्रस्त टिश्यूज को पोषण देता है, जोश, जीवन शक्ति को बढ़ावा देता है और एंटी एजिंग को रोकता है।’

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, इस टॉनिक के नियमित सेवन से बुद्धि, याददाश्त, रोग प्रतिरोधक क्षमता, बीमारी से मुक्ति, सहनशक्ति, यौन शक्ति और सहनशक्ति, बेहतर पाचन प्रक्रिया, त्वचा की रंगत और चमक में सुधार होता है। च्यवनप्राश तीन दोषों- वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है।

दरअसल, ‘च्यवनप्राश’ जड़ी-बूटियों, मसालों और आंवले (अमला) से भरपूर एक शक्तिशाली मिश्रण है, जिसे ऋषि च्यवन ने तैयार किया था। ऋषि च्यवन बहुत बड़े विद्वान थे; ऐसा कहा जाता है कि ऋषि च्यवन को अपनी युवावस्था और जीवन शक्ति को बनाए रखना था, इसलिए उन्होंने ऐसा मिश्रण तैयार किया, जिसके फायदे न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचाने में कारगर हों।

आयुर्वेद में ‘च्यवनप्राश’ को रसायन की कैटेगरी में रखा गया है, क्योंकि इसमें जिन औषधियों का इस्तेमाल किया गया है, उनका सेवन करने से शरीर अंदर से तो मजबूत होता है, साथ ही, दिन भर होने वाली थकावट में ‘च्यवनप्राश’ फायदेमंद माना गया है।

इसके अलावा, कमजोरी, जुकाम-खांसी, इम्यूनिटी में सुधार, सांस से जुड़े रोग और एनर्जी लेवल बढ़ाने के लिए कारगर माना गया है।

इसके अलावा, खांसी या अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए भी ‘च्यवनप्राश’ एक बेहतर ऑप्शन है। ‘च्यवनप्राश’ में मौजूद जड़ी-बूटियां फेफड़ों को मजबूत बनाती हैं, जो सीने में जमे कफ को तेजी से खत्म करने का काम करती हैं। साथ ही, इसके सेवन को शरीर में होने वाली थकान से छुटकारा पाने के लिए लाभकारी माना गया है। इसका सेवन करने से एनर्जी लेवल बरकरार रहता है और जल्दी थकान भी नहीं होती है।