कलिंगा साहित्य महोत्सव में श्रीलंका, नेपाल के साह‍ित्‍यकार भी शाम‍िल, कहा, ‘भारत आकर काफी अच्छा लगा’

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भुवनेश्वर, 21 मार्च (आईएएनएस)। ओडिशा के भुवनेश्वर में शुक्रवार से कलिंगा साहित्य महोत्सव का आगाज हुआ। इस महोत्सव में 25 भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले साहित्यकार भाग ले रहे हैं। इस बार कलिंगा साहित्य महोत्सव का थीम – “साहित्य और विश्व: समावेश, पहचान और जुड़ाव” रखा गया है। इस फेस्टिवल में साहित्य, संस्कृति और कूटनीति के क्षेत्रों से प्रतिष्ठित व्यक्तित्व एक साथ आए हैं। 23 मार्च तक चलने वाले इस महोत्सव में अलग-अलग विषयों पर साहित्यकार अपनी बात रखेंगे। महोत्सव के पहले दिन उद्घाटन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मौजूद थे।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने पोस्ट में लिखा, “भारत की संस्कृति में साहित्य घुला है, मैं आशावान हूं कि आने वाली पीढ़ियां कथा कहने के हमारे नैसर्गिक गुण के प्रकाश में भारतीयता को आत्मसात करती रहेंगी। संस्कृति से सुसज्जित ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में आयोजित कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल में भाग लेकर प्रसन्नता हुई। राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कंभमपति जी की गरिमामय उपस्थिति में उड़िया साहित्य की विभूतियों के स्मरण के साथ ही भारतीय साहित्य की विरासत पर भविष्योन्मुखी संवाद हुआ।”

कार्यक्रम में नेपाल, श्रीलंका से आए स्पीकरों के साथ न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने बातचीत की।

पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि भुवनेश्वर आकर काफी अच्छा लग रहा है। यह भारत के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है। कलिंगा साहित्य महोत्सव बहुत अच्छा एक माध्यम है जहां पाठक और लेखकों को एक मंच पर साथ लाते हैं। यहां एक दूसरे के साथ अपने विचार साझा करते हैं। मुझे यहां आकर काफी अच्छा लगा है।

श्रीलंका से आई कंचना प्रियकांता ने कहा कि मैं लेखक के साथ एक उद्यमी हूं। मैं ओडिशा पहली बार आई हूं और यह पहली बार है जब मैं कलिंगा साहित्य महोत्सव में हिस्सा ले रही हूं। मैं बहुत उत्सुक हूं कि यहां मैं एक स्पीकर के तौर पर यहां पर शामिल हुई हूं। मुझे लगता है कि इस तरह के कार्यक्रम होने चाहिए।

नेपाल से आई रोहिणी राणा ने कहा कि मुझे यहां आकर काफी अच्छा लगा है। मैं तीसरी बार इस सम्मेलन में शामिल हुई हूं। यह पहली बार है जब मैं भुवनेश्वर आई हूं। इस तरह के कार्यक्रम में आप कई तरह के विचारों को समझने के साथ सुनते हैं, यह वाकई काफी अच्छा है।

बुल्गारिया से से आए माइकल बास ने बताया कि वह पहली बार भुवनेश्वर आए हैं। यहां पर दूसरे देशों से भी लेखक पहुंचे हैं। यहां काफी अच्छा लग रहा है।