खजुराहो नृत्य समारोह के स्वर्ण जयंती वर्ष को यादगार बनाने की कोशिश

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खजुराहो, 20 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक और पर्यटन नगरी खजुराहो के नृत्य समारोह का इस वर्ष स्वर्ण जयंती वर्ष है। इस मौके को यादगार बनाने की कोशिश हो रही है। एक तरफ जहां शास्त्रीय नृत्य आयोजन को नई पहचान देगा] तो नई पीढ़ी को नृत्य की बारीकियां बताने के लिए कार्यशाला भी होगी। खजुराहो नृत्य समारोह, 20 से 26 फरवरी तक चलेगा।

खजुराहो की धरती एक बार फिर शास्त्रीय नृत्य की गरिमामय प्रस्तुतियों से गुंजायमान होगी। 1975 में खजुराहो नृत्य महोत्सव शुरू हुआ। इस वर्ष अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है। इस उपलब्धि को खास एवं यादगार बनाने के लिये संस्कृति विभाग द्वारा कथक कुंभ का आयोजन किया जा रहा है।

आदिवर्त संग्रहालय खजुराहो के प्रभारी अधिकारी अशोक मिश्र ने बताया कि संग्रहालय द्वारा पारंपरिक कलाओं का राष्ट्रीय समारोह लोकरंजन का आयोजन 20 से 26 फरवरी, 2024 तक प्रतिदिन सायं पांच बजे से किया जाएगा।

खजुराहो नृत्य समारोह में प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों जैसे भरतनाट्यम, ओडिसी, कथक, मोहिनीअटट्म, कुचिपुड़ी, कथकली, सत्रिया के कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। लोकरंजन समारोह में विभिन्न राज्यों के जनजातीय और लोक नृत्यों के साथ गायन प्रस्तुतियां दी जायेंगी।

महोत्सव के दौरान खजुराहो में देश-विदेश से पहुंचने वाले सैलानियों को रोमांच का अनुभव कराने को म.प्र. टूरिज्म बोर्ड द्वारा विभिन्न रोमांचक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। रोमांच प्रेमियों के लिए स्काई डाईविंग (20-25 फरवरी 2024), कैम्पिंग, ट्रेल जॉय राइड, वाटर एडवेंचर, स्पीड बोट, बनाना राईड, शिकारा बाईड, राफ्टिंग, विलेज टूर, ई-बाइक टूर, रानेह फॉल टूर, दतला पहाड़, सेगवे टूर, खजुराहो नाईट टूर, फॉर्म टूर जैसी गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं।

देशभर की विभिन्न नृत्य शैलियों के गुरुओं तथा उनके शिष्यों का श्रेष्ठ गुरुओं एवं विभिन्न विधाओं के श्रेष्ठ कलाकारों के संवाद और उनकी विधाओं पर केन्द्रित कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। इससे विद्यार्थी नृत्य शैली विभिन्न घरानों से परिचित होंगे और खजुराहो नृत्य समारोह में लयशाला कार्यक्रम में सहभागिता कर अपने आप को गौरान्वित महसूस करेंगे।

हुनर शिल्प मेले में सभी वर्गों की परम्परा के अनुरूप रूपाकारों-कलाकारों द्वारा निर्मित मिट्टी शिल्प, काष्ठ शिल्प, लौह शिल्प, बांस शिल्प, कपड़ा बुनाई-रंगाई-छपाई आदि शिल्प परम्परा की निर्माण प्रक्रिया, तकनीक और डिजाइन उन्नयन का प्रदर्शन किया जाएगा। देश भर के टेराकोटा एवं सिरेमिक माध्यम पर कार्य करने वाले कलाकार अपनी कला कां प्रदर्शन करेंगे।

माटी शिल्प को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समष्टि कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय ‘‘प्रिंट विनाले’’ में भारत भवन, भोपाल द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय ज्यूरी से पुरस्कृत 50 छापा चित्रों (प्रिंट) की प्रदर्शनी ‘‘वर्तनी’’ का आयोजन किया जा रहा है, इसमें प्रमुखतः जापान, कोरिया, स्विटजरलैण्ड, फ्रांस, भारत, ईरान, नार्वे, स्वीडन, अमेरिका देश के कलाकारों के चित्र सम्मिलित किये गये हैं।