नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के चुनाव के साथ 15 राज्यों की 46 विधानसभा और लोकसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुए। जिसके परिणाम घोषित हो चुके हैं। महाराष्ट्र में जहां महायुति ने भारी बहुमत हासिल की है। वहीं, झारखंड में सत्ता में एक बार फिर से इंडी गठबंधन की वापसी हो रही है।
विधानसभा चुनाव के नतीजे महाराष्ट्र में इंडिया ब्लॉक के लिए निराशाजनक और झारखंड में मनोबल बढ़ाने वाले थे, और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के लिए इसके विपरीत थे। हालांकि, दोनों सर्वेक्षणों में कुछ बिंदुओं में आश्चर्यजनक समानताएं पाई गईं।
दोनों राज्यों में, महाराष्ट्र में महायुति और झारखंड में जेएमएम के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ दल ने हालिया असफलताओं के बाद वापसी की और एक आश्चर्यजनक बदलाव की योजना बनाई। महिला शक्ति ने दोनों राज्यों में चुनाव परिणाम को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस बीच, सोशल मीडिया पर भी विश्लेषकों और जानी-मानी हस्तियों द्वारा चुनाव परिणामों के अपने-अपने निष्कर्ष साझा किए जा रहे हैं।
ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के सीईओ अखिलेश मिश्रा ने शनिवार को एक्स पर अपने विचार साझा करते हुए चार प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दिलाया।
अखिलेश मिश्रा ने एक्स पोस्ट पर लिखा कि महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारा, लोगों के लिए एक संदेश बन गया है और इसे जनता ने स्वीकार किया है, जिसके परिणाम सामने आए हैं।
झारखंड के नतीजों के बारे में उन्होंने कहा कि यहां ‘जनसांख्यिकी बदलाव’ अब एक जरूरी राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है। ऐसे में इससे राज्य चुनाव के परिणामों से परे ध्यान में रखकर एक राष्ट्रीय नीति के जरिए निपटने की जरूरत है।
उन्होंने आगे लिखा कि ‘एक हैं तो सेफ हैं’ महाराष्ट्र के चुनाव में एक उद्घोष बन गया और जमीन पर ऐसे पहुंचा जैसे इसे पहुंचना चाहिए था। यह कोई विभाजनकारी नारा नहीं था, बल्कि सभी को एकजुट होने के लिए कहना था, और इसमें गलत क्या है? लोगों ने इस नारे को लेकर समझा कि बीजेपी इसके जरिए उन्हीं लोगों से एकजुटता की मांग कर रही है, जो बीजेपी के संभावित वोटर हैं और जो एकजुट होकर हमेशा पार्टी के खिलाफ वोट करते हैं, उन्हीं से एकजुटता की अपील की गई।
दूसरी तरफ 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी की कार्यशैली ने बड़े पैमाने पर लोगों को उन सभ्यतागत खतरों के प्रति जगा दिया है। अन्यथा जिन समुदायों ने दशकों के इतिहास में कभी इस तरह एक होकर वोट नहीं किया, वैसा इस बार किया है और इसी का नतीजा हरियाणा और अब महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों में देखने को मिला है।