जानिए, कैसा है बाबरपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक मिजाज

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नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बाबरपुर विधानसभा सीट एक हाईप्रोफाइल सीट है। यह सीट 1993 में अस्तित्व में आई थी।

2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां से आम आदमी पार्टी के गोपाल राय ने जीत का परचम लहराया। इसी को देखते हुए इस बार भी पार्टी ने उन पर ही भरोसा जताया है।

2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने यहां भाजपा से चार बार के विधायक नरेश गौर को 33,062 मतों के अंतर से पराजित किया था और कांग्रेस प्रत्याशी अवींक्शा जैन तीसरे स्थान पर रही थीं। चुनाव में गोपाल राय के खाते में 84,776 मत आए थे, जबकि भाजपा के नरेश गौर को 51,714 वोट मिले थे।

1993 में हुए विधानसभा चुनाव में यह सीट अस्तित्व में आई थी। अब तक इस सीट पर सात बार चुनाव हो चुके हैं, इसमें से चार बार भाजपा, दो बार आम आदमी पार्टी और एक बार कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया है।

1993 में हुए विधानसभा चुनाव में नरेश गौड़ यहां से पहली बार विधायक बने थे।

1998 के चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी। तब उन्होंने कांग्रेस के अब्दुल हमीद को हार का मुंह दिखाया था।

2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विनय शर्मा ने यहां पर पहली बार जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा के नरेश गौड़ को पराजित किया था।

वहीं, 2013 के चुनाव में भाजपा के नरेश गौड़ ने यहां से जीत दर्ज की। तब आम आदमी पार्टी के गोपाल राय तीसरे स्थान पर रहे थे।

वहीं, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई। दोनों बार आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच ही प्रमुख मुकाबला हुआ। इसमें गोपाल राय ने जीत का परचम लहराया।

इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज करने के मकसद से तीन बार मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी।

इस सीट पर हिंदुओं की आबादी 65 फीसद और मुस्लिमों की आबादी 35 फीसद है।

वहीं, 2025 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जहां गोपाल राय को चुनावी मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस ने हाजी इशराक खान को और भाजपा ने अनिल वशिष्ठ पर भरोसा जताया है।

बता दें कि दिल्ली में आगामी पांच फरवरी को मतदान होंगे और नतीजों की घोषणा आठ फरवरी को होगी।