झारखंड के पलामू में बिना एनओसी चल रहे स्कूल, अभिभावक बोले – ‘बच्चों के भविष्य से खिलवाड़’

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पलामू, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। झारखंड के पलामू जिले में शिक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है। शिक्षा विभाग के नियमों को ताक पर रखकर जिले में धड़ल्ले से दर्जनों निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिन्हें विभाग से एनओसी तक नहीं मिला है। शिक्षा विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि बिना एनओसी वाले इन स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पलामू जिले में कुल 18 स्कूल पंजीकृत हैं, जबकि सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं, जिन्हें बिना किसी मान्यता के ही संचालित किया जा रहा है। इस मामले में जब आईएएनएस ने जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति के सदस्य विजय ओझा ने मामले को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई करने की जरूरत है, जो बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मैंने प्रशासन के सामने कई बार आवाज भी उठाई है कि जो स्कूल अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्हीं स्कूलों को एनओसी मिलनी चाहिए, जो सरकारी नियमों को पूरा करते हैं।”

पलामू में बिना एनओसी के चल रहे स्कूलों को लेकर अभिभावकों ने भी चिंता जाहिर की है। अभिभावक राजन सिंह ने कहा कि स्कूलों के नाम पर कालाबाजारी का धंधा चल रहा है। मुझे लगता है कि बच्चों के भविष्य के साथ समझौता किया जा रहा है और यह मिलीभगत के बगैर संभव नहीं है। मैं मानता हूं कि बच्चों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ करना किसी की हत्या करने के बराबर है, क्योंकि स्कूल सिर्फ एक धंधा बन गया है। जिले में शिक्षा की स्थिति को लेकर प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा है।

अभिभावक राजीव रंजन पांडेय ने कहा कि जिले में चल रहे निजी स्कूल लोगों के लिए बिजनेस बन गया है। पढ़ाई की बात करें तो निजी स्कूलों में उस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मुझे लगता है कि जिले के अधिकारियों की निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत है, इसलिए इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

फिलहाल, इस मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ ने परिवार वालों की चिंता बढ़ा दी है।