डॉ. विनीता चौबे द्वारा लिखित “श्री माथुर चतुर्वेदी समाज का सांस्कृतिक इतिहास” पुस्तक का हुआ लोकार्पण

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भोपाल : 15 जून/ श्री माथुर चतुर्वेदी महासभा के दो दिवसीय 35वें राष्ट्रीय अधिवेशन का आगाज भोपाल के रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में शनिवार को किया गया। इसमें माथुर चतुर्वेदी समाज के देशभर से 1000 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। शनिवार को उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में भोपाल लोकसभा के नवनिर्वाचित सांसद श्री आलोक शर्मा मौजूद रहे। उनके साथ अन्य अतिथियों में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री श्री सतीश चतुर्वेदी, रिटायर्ड ले. जनरल विष्णुकांत चतुर्वेदी, लोकतंत्र सेनासी संघ के कार्यकारी अध्यक्ष भरत चतुर्वेदी, स्वागत अध्यक्ष एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे एवं नवनिर्वाचित अध्यक्ष ऊषा चतुर्वेदी, अधिवेशन आयोजन समिति की संयोजिका विनीता चौबे, चतुर्वेदी चंद्रिका के संपादक शशांक चतुर्वेदी और मुनींद्र नाथ चतुर्वेदी मौजूद रहे।

इस दौरान मुख्य अतिथि आलोक शर्मा ने कहा कि श्री माथुर चतुर्वेदी समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है। शिक्षा और शास्त्र के साथ साथ चतुर्वेदी समाज में अपने शौर्य का पराक्रम दिखाते हुए युद्ध भी लड़े हैं। आज समाज को इसी पराक्रम की जरूरत है और हमें समाज के युवाओं को संस्कार से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य करना होगा। बच्चों को वेद, पुराण और हमारे ऐतिहासिक धार्मिक ग्रंथों से भी परिचित कराना समाज का ही दायित्व है। आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासनिक, सेना और राजनीति आदि के क्षेत्र में चतुर्वेदी समाज के विद्वानों का महत्वपूर्ण नेतृत्व प्राप्त हो रहा है। ये हम सब के लिए गौरव की बात है। इसी कड़ी में आगे उन्होंने युवाओं के लिए तीन दिवसीय राष्ट्रीय महाधिवेशन करने का सुझाव दिया।

स्वागत अध्यक्ष संतोष चौबे ने अपने वक्तव्य में कहा कि श्री माथुर चतुर्वेदी समाज का इतिहास काफी प्राचीन है। इसका उल्लेख वराह पुराण में भी मिलता है। वर्तमान में चतुर्वेदी समाज के महानुभावों ने अपने अथक प्रयासों और परिश्रम से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान कायम की है। आगे उन्होंने कहा कि आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम युवाओं को समाज हित के कार्यों में जोड़ने का कार्य करें। युवा हमसे भिन्न हैं परंतु अलग नहीं है।

कार्यक्रम में डॉ. विनीता चौबे द्वारा लिखित “श्री माथुर चतुर्वेदी समाज का सांस्कृतिक इतिहास” पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इस डॉ. विनीता चौबे ने अपने उद्बोधन में 12 खंडों में प्रकाशित इस पुस्तक पर प्रकाश डाला और कहा कि इसके माध्यम से श्री माथुर चतुर्वेदियों के सांस्कृतिक इतिहास का विस्तृत दस्तावेजीकरण किया गया है।

रिटायर्ड ले. जनरल विष्णुकांत चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि 12 खंडों में इतिहास का प्रकाशन श्री माथुर चतुर्वेदी समाज के लिए अविस्मरणीय कार्य है। इसमें हमारे समाज के सांस्कृतिक को संजोया गया है। इस अवसर पर आगे उन्होंने कहा कि हमारे लिए गौरव का विषय है कि हमने अपने समाज में दहेज प्रथा और पर्दा प्रथा को खत्म कर दिया है।

इससे पहले स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने स्वागत वक्तव्य दिया एवं आईसेक्ट विश्वविद्यालय समूह का परिचय दिया। दोपहर के सत्र में “श्री माथुर चतुर्वेदी प्रतिभा सम्मान” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में समाज सेवा का कार्य करने वाली विभूतियों को सम्मानित किया गया जिसमें भोपाल से संतोष चौबे, विनीता चौबे, डॉ. मीनाक्ष चतुर्वेदी, समर्थ चतुर्वेदी, नागपुर से आभा चतुर्वेदी, फिरोजाबाद से अपूर्व चतुर्वेदी, जयपुर से सुरभि मिश्रा, कानपुर से विकास चतुर्वेदी, कोटा से शिवजी, आगरा से निखिल चतुर्वेदी और मुम्बई से विवेक चतुर्वेदी शामिल रहे।

इस दौरान कार्यक्रम का सफल संचालन विनय उपाध्याय, निदेशक टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति केंद्र द्वारा किया गया।

भजन और होली गीतों की प्रस्तुति

सुबह के सत्र में बच्चों के समूह ने भजन गीतों की सुमधुर प्रस्तुति दी। इसमें पहली प्रस्तुति “राम नाम रस पीजे मनवा….” की रही। इसके बाद “दशरथ नंदन राम राम…” भजन गाया। संगीत की यह सभा होली के गीतों से भी महकी। इसमें होली गीत “चलो सखी जमुना में मची आज होली…”, “मोहन पर रंग डारो ओ होरी आई…” और “होली खेलत आयो श्याम…” को पेश किया।

शाम के सत्र में क्षमा मालवीय के निर्देशन में 55 बच्चों के समूह ने होली गीतों को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। इसमें होली के प्रमुख गीत “चलो सखी यमुना पार…”, “यमुना तट श्याम खेलत होली…”, “मोहन पर रंग डारो…”, “बहुत दिनन सौं रूठे श्याम होली मैं मनाए लै आउंगी” शामिल रहे। समापन गीत “रंग में भोरोरी…” से हुआ।