दिल्ली सरकार की शिक्षा नीतियों के खिलाफ ‘डूटा’ का विरोध प्रदर्शन

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नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)। ‘दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ’ (डूटा), दिल्ली सरकार की शिक्षा नीतियों के खिलाफ आंदोलन कर रहा है। इसके तहत गुरुवार को शिक्षकों ने मुख्यमंत्री आवास के समीप मोमबत्तियां जलाकर अपना विरोध जताया। यहां मुख्यमंत्री आवास पर बड़ी संख्या में शिक्षकों ने हाथों में मोमबत्तियां लेकर प्रदर्शन किया।

डूटा अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी के मुताबिक दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित बारह कॉलेजों में शिक्षकों के पदों को स्वीकृति प्रदान करने और भर्ती के मुद्दे पर शिक्षकों ने अपना प्रदर्शन किया। शिक्षकों का कहना है कि वे मनोनीत मुख्यमंत्री आतिशी के उच्च शिक्षा विरोधी पत्रों को वापस लेने और दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेजों के लिए पूर्ण अनुदान जारी करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन के बाद आंदोलनकारी शिक्षकों और डूटा पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री आवास कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपा। शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने की अपील की है।

डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर भागी ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में इन 12 कॉलेजों को राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित बारह कॉलेजों को स्वायत्त डिग्री प्रदान करने वाले कॉलेजों में परिवर्तित करने के आतिशी के दिसंबर 2023 के पत्र के प्रस्ताव को खारिज किया।

डूटा के मुताबिक उन्होंने सीएम को याद दिलाया है कि प्रो. प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद द्वारा गठित एक समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसे डीयू की कार्यकारी परिषद और अकादमिक परिषद के संयुक्त सत्र में अपनाया गया था। इस रिपोर्ट ने इन कॉलेजों में वित्तीय अनियमितताओं के बारे में आतिशी के पत्रों में झूठे दावों को उजागर किया है। प्रो. प्रकाश सिंह समिति ने दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित बारह कॉलेजों में वित्तीय अनियमितताओं और अवैध नियुक्तियों पर आतिशी के आरोपों और इन बारह कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय से मान्यता रद्द करने के मुद्दे की जांच की है।

डूटा के मुताबिक समिति ने कहा कि आतिशी द्वारा लगाए गए आरोप निराधार और गलत हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में डूटा की मांग से सहमति जताई है कि ये घटक कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय का अभिन्न अंग हैं। इसलिए इन कॉलेजों के असंबद्ध होने का सवाल ही नहीं उठता।

डूटा के सचिव अनिल कुमार और उपाध्यक्ष सुधांशु कुमार ने कहा कि ‘आप’ सरकार इन कॉलेजों को फंड देने की अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। इन कॉलेजों को डीयू से असंबद्ध करने के बहाने ढूंढ रही है।

डूटा कोषाध्यक्ष आकांक्षा खुराना ने कहा कि डूटा दिल्ली सरकार की फंड कटौती नीति की निंदा करती है। उन्होंने कहा कि सरकार को पूरा फंड जारी करना चाहिए अन्यथा डूटा आंदोलन को और तेज किया जाएगा। डूटा ने अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है। अगले सप्ताह यूजीसी मुख्यालय पर धरना देकर इन कॉलेजों को डीयू द्वारा अधिग्रहित करने और यूजीसी द्वारा वित्तपोषित करने की मांग की जाएगी।