नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय कैबिनेट के ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल को मंजूरी देने का आम आदमी पार्टी (आप) ने सख्त विरोध किया है।
‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि देश को ‘वन नेशन, वन एजुकेशन’ और ‘वन नेशन, वन हेल्थकेयर सिस्टम’ की जरूरत है, ना कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ भाजपा की गलत प्राथमिकता है।
वहीं, आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि मान लिया जाए कि अगर इन्होंने एक बार पूरे देश में एक साथ चुनाव करा दिया, तो महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में अभी सरकार बनी है। अभी पंजाब और उत्तर प्रदेश का कार्यकाल बाकी है। आप पूरे देश का एक साथ चुनाव कैसे करा देंगे? जिन सरकारों के कार्यकाल बाकी हैं, उनका चुनाव कैसे करा देंगे?
सबसे बड़ा सवाल है कि यह बहानेबाजी है कि सरकार कह रही है कि एक साथ चुनाव कराने से खर्चे कम आएंगे। क्या एक साथ चुनाव कराने से वोटर्स की संख्या कम हो जाएगी? क्या ईवीएम की संख्या कम हो जाएगी? एक साथ चुनाव कराने में भी उतने ही वोटर्स हिस्सा लेंगे, जितने अलग-अलग समय पर चुनाव में हिस्सा लेंगे। इसमें खर्चे का सवाल कहां से आ गया? फिर, ये आचार संहिता की बात करते हैं।
‘आप’ ने सवाल करते हुए कहा कि मान लिया जाए कि अगर राज्य का चुनाव है, तो ऐसे में उतने ही समय के लिए आचार संहिता लगती है, जैसे देश भर में होने वाले चुनाव के समय लगती है।
बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयक को मंजूरी दी। संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है, इसी सत्र में यह बिल संसद में पेश किया जा सकता है। केंद्रीय कैबिनेट ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे दी है। यह बिल पूरे देश में एक चुनाव का मार्ग प्रशस्त करता है।
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार अब विधेयक (बिल) पर आम सहमति बनाना चाहती है। सरकार इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है।